Type Here to Get Search Results !

अग्‍न‍िवीर योजना में बड़े बदलाव की तैयारी, मोदी सरकार कर सकती है र‍िव्‍यू, छुट्टी से लेकर भर्ती तक बदल सकते हैं ये न‍ियम!*

 _ठाकुर रमेश शर्मा_ 

 _रामनगर-नरकटियागंज, प०चंपारण(बिहार) 19-06-2024_ 


*नई दिल्ली* : 

भारतीय सेना में अब जवानों की भर्ती अग्‍न‍िपथ स्कीम के जरिए करती है. लेक‍िन लोकसभा चुनाव में व‍िपक्ष ने अग्‍न‍िवीर योजना के मुद्दे को जोर-शोर के साथ जनता के बीच उठाया. इतना नहीं जब बीजेपी ने सरकार बनी तो उनके सहयोगी दल ने भी अग्‍न‍िपथ स्‍कीम में बदलाव की मांग की. वहीं जिस दिन इस स्कीम को लागू किया गया था तब से यह बात भी रक्षा मंत्रालय की तरफ से कही गई थी कि समय-समय पर इसको रिव्यू किया जाएगा. अगर कोई परिवर्तन करना हो तो उसे भी किया जाएगा। अग्निपथ स्कीम को लागू हुए डेढ़ साल का वक्त हो चुका है और इन डेढ साल में इस स्कीम को रिव्यू किया जा रहा है. सूत्रों की माने DMA यानी कि डिपार्टमेंट ऑफ मिलेट्री अफेयर्स ने तीनों सेना से इस पर रिपोर्ट मांगी है. सूत्रों की मानें तो चार साल के कार्यकाल को बढ़ने, ज्‍यादा भर्ती और 25 पर्सेंट रिटेंशन की सीमा को बढ़ाने की बात की जा रही है, लेकि


न यह कितनी होगी इस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता. इसके अलावा ट्रेनिंग और या ड्यूटी पर किसी अग्निवीर को मौत या घायल होने की सूरत में परिवार को आर्थिक सहायता दिए जाने को लेकर भी मंथन हो रहा है.इतना ही नहीं रेगुलर सेना के जवानों और अग्निवीर को मिलने वाली छुट्टियों के अंतर में भी बदलाव किया जा सकता है. मसलन सामान्य सोलजर को साल में 90 दिन की छुट्टी मिलती है, तो अग्निवीरो को साल में सिर्फ 30 दिन की. अभी अग्निवीरों के पहले बैच को आउट होने में ढाई साल का समय है तो अगर किसी तरह के बदलाव किए गए तो पहले बैच के आउट होने से पहले ही कर दिए जाए ताकी उसका फायदा पहले बैच के अग्निवीरों को मिल सके, जब से स्कीम आई है तब से नेपाल में किसी भी तरह की भर्ती रैली का आयोजन नहीं हुआ है. कोरोना के दौरान तकरीबन ढाई साल और अग्निपथ योजना के लागू हुए तकरीबन डेढ़ साल यानी की पिछले चार साल से भारतीय सेना में नेपाली गोरखा सैनिकों की भर्ती नहीं हुई है. भारतीय सेना के एक अधिकारी के मुताबिक, आजादी से पहले तक गोरखा रेजिमेंट में करीब 90 फीसदी गोरखा सैनिक नेपाल के होते थे और 10 फीसदी भारतीय गोरखा, लेकिन जैसे से समय बीता इस प्रतिशत 80:20 किया गया. इसके बाद में इसे 60:40 तक कर दिया गया. यानी की 60 फीसदी नेपाली डोमेसाइल गोरखा और 40 फीसदी भारतीय डोमेसाइल गोरखा।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.