ऐतिहासिक भितिहरवा आश्रम से 20 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है यह जगह चानकी गढ़
ठाकुर रमेश शर्मा-चमुआ पंचायत,नरकटियागंज अनुमंडल,पश्चिमी चंपारण (बिहार)
07-11-2022
एक समय था जब क्रिमिनल यानी अपराधी जंगलों या गन्ने के खेत में रहते थे। परंतु अब डाकू दिनदहाड़े सरकारी दफ्तरों तथा ऊँचे कुर्सियों पर रहकर पूरे आर्यव्रत में शासन-प्रशासन चला रहे हैं। विडंबना यह है कि वरिष्ठ अधिकारी जो जन्म से अंधे हैं,उन्हें यह दिखता नहीं की हमारे लिखावट का प्रसंग यह है की सृष्टि रचना के बाद प्राकृतिक बनावट में का अंश है।
ऐतिहासिक महापुरुष महाराज चंद्रगुप्त के सौजन्य से निर्मित पर्यटक स्थल जो बिहार राज्य के तिरहुत प्रमंडल के पश्चिमी चंपारण जिला अंतर्गत नरकटियागंज के चमुआ पंचायत में सकट वीरामस्थल है। वही चमुआ,जिसके एक माइल आगे बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्व०केदार पांडे जी निवास करते थे।जो अंतिम बार इंदिरा गांधी जैसी विश्व प्रसिद्ध महानेत्री के शासनकाल में स्वतंत्र भारत के कबीना मंत्री बनकर स्वर्ग सुधार गए।
परंतु चमुआ ना हाल्ट रहा और नाहीं स्टेशन का दर्जा पा सका। बहुत ट्रेनें आई उससे महान यात्री भी आए,परंतु चमुआ ही पूरे संसार में एक ऐसा स्टेशन है जिसे ना हाल्ट और नाहीं स्टेशन का दर्जा प्राप्त है। जिसका स्वरूप मुख्यमंत्री,रेल मंत्री न बदल सके तो हमारे पाँच रुपये की कलम की क्या औकात ?
विडंबना देखिए,उसी पंचायत का एक गांव है चानकी,जहां यह चानकी गढ़ अवस्थित है। जिस प्राकृतिक विरासत पर इन अंधे ब्यूरोक्रेट की निगाहे पड़ती तो है परंतु अनदेखी कर देते हैं। इस ऐतिहासिक धरोहर के इर्द-गिर्द कुछ राजस्व ग्राम है जैसे बिनवलिया- जहां के नवयुवक भाई अजरुद्दीन जो मीडिया कर्मी के साथ-साथ महान समाजसेवी भी हैं। कंप्यूटर (नेट) के माध्यम से जीविकोपार्जन करके जैसे तैसे जीवन यापन करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता है। उनके साथ-साथ महान समाजसेवी भाई विजय सिंह,रामाआशीष शर्मा,रामेश्वर शर्मा जो स्व०त्रिवेणी शर्मा के पुत्र है,चमुआ के मुरारी लोहार के पिता सुदामा शर्मा हैं। सुदामा शर्मा की वयोवृद्ध माता कुंवर दुलारी देवी जो 110 वर्ष की हैं।उन्होंने भी अपने बयान में इस चानकी गढ़ की अनेकों
कहानी अपनी जुबानी बताती है। अब इसी चानकी गढ़ से सटे कथित आदर्श जो राजकियकृत उच्च माध्यमिक विद्यालय चंडीगढ़ प्रखंड नरकटियागंज अनुमंडल जिला पश्चिमी चंपारण बिहार पिन कोड 845455 है तथा इसी में सी०आर०सी मीटिंग भी होती है। परंतु इस धरोहर से सटे विद्यालय में सुविधाओं का घोर अभाव है। चारदीवारी विहीन विद्यालय के आगे से विश्व पर्यटकों की टोली हमेशा आती रहती है तथा माखौल बनाते हुए, हंसते हुए कहते हैं-'यह है आजाद भारत का पाठशाला। ऐसे में पढ़कर दिल्ली संसद भवन जाएंगे संविधान के संशोधनकर्ता। भला कैसे करेंगे नवभारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण?' ऐसा कहते हुए इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक महान विद्वान ज्ञान पुस्तक लेखक विनय कुमार सिंह,मृदुभाषी सहज सरल होने के कारण विनय कुमार सिंह कलम के धनी होते हुए भी सुविधा विहीन विद्यालय के अनेकों समस्याओं पर न लिख पाते हैं और ना ही बोल पाते हैं। परंतु इस देश क्या,विदेश में भी इस चानकीगढ़ विद्यालय जो कथित रूप से आदर्श है।हमारे अंधे तथा बहरे-गूंगे भ्रष्ट अधिकारियों की अवहेलना के चलते हमारी थू-थू हो रही है। विभागीय प्रोटोकॉल में भला एक निरीह शिक्षक जो मास्टर कहलाता है,क्या लिख या बोलकर जुबान खोल सकता है? क्योंकि असली मास्टर तो पटना के मुख्यालय में बैठे हैं।
जहां हर डाल पर उल्लू बैठा है.... की कहानी चरितार्थ हो रही है। चानकी के पत्रकार के साथ शिव कुमार शुक्ल के साथ स्व० अरविंद मणि तिवारी के अनुज पिंटू मणि तिवारी जो जदयू के वरिष्ठ नेता के साथ सांसद प्रतिनिधि नरकटियागंज (निवासी-चेंगौना)है।इन दोनों के साथ उपरोक्त सभी लोगों ने अपने बयान में बताया कि बिना सुविधा शुल्क के पटना हेड क्वार्टर वाले मास्टर भला इस विद्यालय चानकीगढ़ को सुविधाओं से भला कैसे लैश करेंगे,लक्ष्मी नारायण प्रधान देश में?