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5 दिवसीय अंतर्रार्ष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान की हुई शुरुआत


- सिविल सर्जन ने बच्चों को ड्रॉप पिलाकर किया अभियान का शुभारंभ

- एएनएम, आशा व आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा पिलाई जाएगी दवा

- 7.63 लाख से अधिक बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाने का है लक्ष्य

- 5 वर्ष तक के बच्चों को जरूर दें "दो बूंद जिंदगी की"



पूर्णियाँ : 11 अक्टूबर


बच्चों में विकलांगता होने के प्रमुख लक्षणों में से एक पोलियो को जड़ से खत्म करने के लिए जिले में अंतर्राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान की शुरुआत जिला सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा द्वारा सदर अस्पताल के बच्चा वार्ड में शिशुओं को पोलियो ड्रॉप पिलाकर की गई. इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. उमेश शर्मा ने बताया कि पोलियो एक गंभीर 



बीमारी है जो किसी व्यक्ति के शरीर को लकवाग्रस्त कर देता है. चूंकि छोटे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है, इसलिए उसे इस बीमारी से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है. इसे होने से पहले ही खत्म कर देने के लिए 1 वर्ष से 5 वर्ष तक के बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई जा रही है. उन्होंने जिले के सभी परिजनों से अपने बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए उन्हें पोलियो की दवा पिलाकर अभियान को सफल बनाने में जिला स्वास्थ्य विभाग की पूरी तरह सहयोग करने की अपील भी की. अभियान के उद्घाटन में सिविल सर्जन के साथ ही जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. सुभाष चन्द्र पासवान, जिला कार्यक्रम प्रबंधक ब्रजेश कुमार सिंह, डीसीएम संजय दिनकर, यूनिसेफ एसएमओ मुकेश गुप्ता, बीएमसी यूनिसेफ अमित कुमार, डब्लूएचओ एसएमओ डॉ. अनिसुर रहमान भुइयां, पाथ कम्युनिकेशन से पंकज कुमार आदि उपस्थित रहे.



7.63 लाख से अधिक है लक्षित बच्चों की संख्या :

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. सुभाष चंद्र पासवान ने बताया अंतर्राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए एएनएम, आशा व आंगनवाड़ी सेविकाओं द्वारा घर-घर जाकर 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों को पोलियो की "दो बूंद" दवा पिलाई जाएगी. जिले में 0 से 5 वर्ष तक के लक्षित बच्चों की संख्या 7.63 लाख है. इसके लिए जिले में 49500 वाईलस बीओपीभी उपलब्ध कराई गई है. घर-घर जाकर दवा पिलाने के लिए जिले में 1608 टीम बनाई गई है जिसके द्वारा कुल 6.63 लाख घरों में भ्रमण किया जाएगा. चौक-चौराहों पर भी दवा पिलाने के लिए जिले में 158 ट्रांजिट टीम बनाई गई है. इसके अलावा बासा, ईंट भट्ठों व घुमंतू आबादी वाले क्षेत्रों में भी दवा की पहुंच बनाने के लिए 51 मोबाइल टीम तैयार की गई है. सभी टीम की निगरानी के लिए 602 सुपरवाइजर भी तैयार किए गए हैं. एक सुपरवाइजर द्वारा 3 टीम का निरीक्षण किया जाएगा. 



खतरनाक लकवाग्रस्त बीमारी है पोलियो :


डीआईओ डॉ. पासवान ने बताया कि पोलियो एक खतरनाक लकवाग्रस्त वायरस जनित रोग है. बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उसे पोलियो का खतरा ज्यादा है. यह बीमारी विशेष रूप से रीढ़ के हिस्सों व मस्तिष्क को ज्यादा नुकसान पहुँचता है. इससे बचाव के लिए लोगों को अपने बच्चों को पोलियो की दवा जरूर पिलानी चाहिए. पोलियो ड्रॉप बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों से बचाए रखता है. उन्होंने बताया कि दक्षिण-पूर्व एशिया समेत भारत को 2014 से ही पोलियो मुक्त घोषित किया गया है, पर आस-पड़ोस के देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि देश अभी भी पोलियो से ग्रसित है. वहां से आने वाले लोगों द्वारा यह भारत में भी फैल सकता है. इसलिए हमें सावधान रहना जरूरी है जिसके लिए अभियान चलाया जा रहा है.


कोविड संक्रमण से बचाव का रखा जाएगा ध्यान :

यूनिसेफ एसएमओ मुकेश गुप्ता ने बताया कि पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान के दौरान कोविड संक्रमण से बचाव का पूरा ध्यान रखा जाएगा. कर्मियों द्वारा दवा पिलाने के समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा. संक्रमण को ध्यान में रखते हुए बच्चों को ड्रॉप पिलाने के बाद हाथ में मार्कर से किसी तरह का निशान नहीं लगाया जाएगा. स्वास्थ्य कर्मियों को पूरी तरह से मास्क व ग्लव्स का उपयोग करने के लिए निर्देशित किया गया है.

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