_ठाकुर रमेश शर्मा - रामनगर विधानसभा + रामनगर पुलिस अनुमंडल,बेतिया प० चंपारण_
_दिनांक:-23-02-2022_
समाधान यात्रा से लौटकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ खास करने वाले हैं। जिसमें मुख्य रुप से डीएसपी स्तर के पुलिस अधिकारियों का पदस्थापना, ट्रांसफर,पोस्टिंग।कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का पदस्थापना,कुछ उप महानिरीक्षक जिनका सेवाकाल फरवरी में ही सेवा से मुक्ति पाकर स्वर्ग से सुंदर घर में चैन की नींद सोएंगे क्योंकि ड्यूटी के दौरान जिसे जनता की रक्षा के लिए जनहित में बेचैन रखा गया, जिन्हें लक्ष्मीनारायण का प्रवाह नहीं,जो दर माहे के अलावे में रुपयों को हराम समझे,उन्हें इस समय रिटायरमेंट से शांति ही मिलेगी न ?
सिकटा अंचल के अंचलाधिकारी जो ऊंचे रसूक वाले हेडक्वार्टर में माने जाते हैं।उन्होंने अपने कलम से इस भारत की जनतंत्र के परवाह किए बगैर अपने स्तर पर मौलिक अधिकार का हनन कर रहे हैं,इसे ही तो मानवाअधिकार उत्पीड़न कहते है।
मामला है सिकटा अंचल के मुरली परसौनी के वार्ड नंबर 6 का। इसमें पीड़ित अल्पसंख्यक समाज का एक समय था जब खुर्शीद आलम अल्पसंख्यकों कल्याण के साथ उनकी हक बखूबी रक्षा के लिए गन्ना मंत्री बने। अगर आज अगर मंत्री जी होते हैं तो अंचलाधिकारी इस प्रकार एक व्यक्तिगत दुश्मनी से नाराज होकर व्यक्ति विशेष पर स्पेशल अतिक्रमण वाद का फर्जी मामला है नहीं चलाकर उजाड़ने का धमकी देते तथा फर्जी नोटिस 15-2-2023 को नहीं भेजते क्योंकि इस प्रकरण में मुरली परसौनी पंचायत के वार्ड नंबर 6 के ग्राम परसौनी में मुरली निवासी जो स्वर्गीय सद्दीक खान के पुत्र आमिरुल्लाह उर्फ अमीरुल खान इसी वार्ड के थाना नं०310, खाता 04,खेसरा 1041,95 वर्ग फीट में ईट का पक्का मकान बना है जिसे उजाड़ने की धमकी दंड अधिकारी व पुलिस के सहयोग से जबकि ग्रामीण एवं प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि रिश्वत के बल पर संभव हुआ। इसी रकबा + खाता खेसरा में इसी बगल के अंचलाधीकारी अपने लोगो से भी कई वर्षो से करवा रखा है।
क्या उनके लिए सीओ सिकटा के न्यायालय में अलग से कानून लागू होगा ? साथ ही साथ इस रकबा में कितनी भूमि है उनसे अगर लोकायुक्त में पूछा जाएगा तो सीओ साहब शायद को जरूर जवाब देना होगा क्योंकि इस समय सचिवालय में प्रतिदिन अंचलाधिकारी अपने निजी फोन से रोज बात कर रहे हैं कही हमारी पोस्टिंग कहीं और तो नहीं होगी। इस बात के लिए हर कीमत चुकाने को तैयार हैं तो अनीरूल्लाह सह अनीरूल खान क्या बिगाड़ लेंगे ?
अब तो एक अंचल दो कानून की राजनीत अंचलाधीश बांट सकते हैं क्या ?
क्या सिकटा निरंकुस प्रखंड हो गया है ?
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पीड़ित अल्पसंख्यक परिवार इस मामले से पहले कोई जमीनी कागजात सुधार के लिए गया था जो कृषि योग्य भूमि खतियानी है।उसमे भी सीओ द्वारा 50 हजार रुपए रिश्वत की मांग की गई थी जो नही देने पर सीओ द्वारा पूरे गांव में इन्ही गरीबी को टारगेट कर रहे हैं और इनका वह घर तोड़ने के लिए भाड़े का बुलडोजर खोज रहे हैं।इस प्रकरण में जब सीओ सिकटा से जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने पत्रकारों को बरगलाकर टाल मटोल कर दिया।अब देखना यह है की लोकायुक्त के सरण में पीड़ित परिवार चला गया तो ब्यूरोक्रेट के कौन कौन से लोग फसेंगे।