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*विमर्श साहित्यिक संस्था की 38 वीं मासिक कवि गोष्ठी अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के सौजन्य से*

झूठ से हिंक भर होई लड़ाई भले, बात मुँहवे पर कहब भभाई भले........

साखोपार में विमर्श साहित्यिक संस्था की 38 वीं मासिक कवि गोष्ठी 


कसया, कुुुशीनगर। तहसील क्षेत्र के साखोपार में विमर्श साहित्यिक संस्था की 38 वीं मासिक कवि गोष्ठी अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के सौजन्य से सम्पन्न हुई। गोष्ठी में साहित्यकारों ने सम सामयिक कविता, शायरी, गजल, नशिस्त सुनाकर बाहबही लूटी।

युवा कवि धीरज राव ने सरस्वती वंदना "सुना दे मईया बीणा की झंकार" प्रस्तुत की। कवि अशोक शर्मा ने "बेंच दी क्यों जिंदगी, दो चार आने के लिये" सुनाकर जमाने पर प्रहार किया। भोजपुरी कवि उगम चौधरी मगन ने " कवने डगरी जइबू गोरी, बढ़ल छिनछोरी ए रामा" सुनाकर, अश्वनी द्विवेदी ने अपनी रचना " झूठ से हिंक भर होई लड़ाई भले, बात मुँहवे पर कहब भभाई भले" व  "क, ख, ग, घ, ड. लिख लेब, पहिले गोली पारे के सिख" सुनाकर गोष्ठी को ऊंचाई दी। आकाश महेश पूरी ने " वतन में लोकशाही का आधार होता है, तलवार से

बेहतर कलम का धार होता है" सुनाकर तालियां बटोरी। धीरज राव विनय ने "दुनिया तोहके पंकज जो आगे बढ़ेके बा, त कीचड़ से कबहुँ डेराये के ना बा " । बयोवृद्ध कवि सत्य प्रकाश शुक्ला ने " करी ले श्रींगार केतनो रची - रचि सखा के" समसामयिक रचना सुनाई। जयकृष्ण शुक्ल ने " पूछिये मत, मैंने क्या सरकार देखा, सिरफिरे पन की गजब रफ्तार देखा" सुनाई। अरविंद अकेला "अमवा क डाढ़ बईठी", रेणुका चौधरी ने " वक्त दर्पण दिखा दे तो अच्छा ही है", मनीष कुमार दुबे "चांदनी की बात हम कैसे करें ",  सुजीत कुमार पाण्डेय ने " सियासत की आड़ में खंजर बोलता है", हास्य कवि अवध किशोर अवधू "आहुन जो कुटब त, बाछा कूटा जईब", मधुसूदन पाण्डेय ने "बहे पुरवईया झकझोरी आवे बदरी, ठिठुर क चलते उदास भइल कजरी ", रामनरेश शर्मा ने "मन्दिर चाहे मस्जिद देख लीं, दुनु बहुत महान बा ", गोरखपुर से पधारे कवि अवधेश नन्द ने  " सूखे हर घाट का पानी तो पीना भी न अच्छा है", रूबी गुप्ता ने " दर्दे दिल न छुपाया करें, हाल अपना बताया करें", संतोष संगम,नंदलाल सिंह कांतिपति आदि ने रचनाओं को सुनाकर बाहबही लूटी। गोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि एबीपीएसएस प्रदेश अध्यक्ष अजय प्रताप नारायण सिंह, विशिष्ट अतिथि डीके पाण्डेय


व कवियों ने माता सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलन व पुष्पार्चन कर किया। मुख्यअतिथि श्री सिंह ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है औऱ साहित्यकार समय, परिस्थितियों के अनुसार अपने मन, मष्तिष्क से निकले उद्गार को रचना के रूप में पिरोता है और साहित्यकार रचनाओं के माध्यम से देश प्रेम, समाज सुधार, दिशा, संस्कार और इतिहास लिखता है। संचालन व अध्यक्षता करते हुए संस्था अध्यक्ष आर के भट्ट "बाबरा" ने " हर तरफ उठ रहा धुआं क्यूं है, मैं यहां हूँ बता रहा तू है" समसामयिक रचना प्रस्तुत किया। एबीपीएसएस द्वारा अतिथियों व कवियों को प्रशस्ति पत्र, लेखनी, डायरी, पैड आदि देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान विवेक कुमार वर्मा, असलम अंसारी, हृदया नन्द शर्मा,श्रीजेश यादव, पवन कुमार शर्मा आदि मौजूद रहे।

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