कुशीनगर के नौरंगिया गांव में हुए कुआं हादसे में मरने वाली किशोरी, महिलाए लगभग13 से 15 की मौत 21 साल की पूजा यादव भी शामिल है। बहादुर बिटिया अब नहीं रही, लेकिन रात के दर्दनाक हादसे के दौरान उसने जो हिम्मत दिखाई गई, उसकी चर्चा अब हर तरफ हो रही है। वह सेना में भर्ती की तैयारी कर रही थी। क्या हुआ जो सिलेक्शन से पहले जिंदगी की जंग हार गई, लेकिन उसने जो बहादुरी दिखाई, उससे पांच लोगों की जान बची, जिनमें दो बच्चे भी हैं।
अंधेरे में हुए हादसे में डूबने वालों में पूजा यादव के साथ उसकी मां भी थी। उसने पहले अपनी मां को बचाया। इसके बाद एक-एक कर 4 अन्य लोगों को भी बचाकर कुएं से बाहर भेजा। छठे की जान बचाते वक्त वह खुद कुएं में डूब गई। आर्मी में पिता बलवंत यादव को अपनी बिटिया की शादी की चिंता थी, लेकिन न तो सिलेक्शन हुआ और न ही शादी हो सकी। अब उसका अंतिम संस्कार करने की तैयारी की जा रही है।
छठे की जान बचाते समय खोया संतुलन और खुद पानी
में जांच
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पूजा पर सभी को बचाने की
धुन सवार थी। रोते-बिलखते लोग पूजा का हौसला याद
कर उसका ही नाम ले रहे हैं। उन्होंने कहा, पूजा ने जब
5 लोगों को बचाया तो लोगों की आस जाग उठी। पूजा
छठी जान बचा रही थी, तभी उसने अपना संतुलन खो
दिया और खुद पानी में समा गई।
पूजा के ऊपर 12 लोग, चिल्ला रहे थे इसका हाथ
पकड़ो
जर्जर कुएं का स्लैब 13 लोगों के लिए यमराज बना। अंधेरी रात और गहरे कुएं में गिरे लोगों की आवाज भी गांव के दूसरे लोगों तक नहीं पहुंच रही थी। ऐसे में पूजा के साथ दूसरी महिलाएं लगातार चिल्लाने लगीं। रात के सन्नाटे में लगातार चिल्लाने से आवाज दूसरे लोगों तक पहुंची। फिर वहां भीड़ जमा हो गई।
पूजा की आवाज सुनकर वहां विपिन ने दौड़ लगाई। उसकी सहायता से पांच लोगों को बचाया। हर बार पूजा खुद को बाहर निकालने की जगह, लोगों से कहती थी। इसे पकड़ो, इसका हाथ पकड़ो, बच्चों को ऊपर निकालो।
बचाई अपनी मां की जान
पूजा ने पहले अपनी मां लीलावती यादव की जान बचाई। कुएं में लीलावती और पूजा एक ही साथ गिरे। इस दौरान कुएं के बाहर लोगों के पहुंचने पर पूजा ने लीलावती को धक्का देकर उनका हाथ पकड़ा और ऊपर कर दिया। इसी तरह पूजा की मदद से अनूप, उपेंद्र, लीलावती सहित पांच लोगों की जान बच सकी।
पिता की तरह पूरा परिवार आर्मी और पुलिस में होना चाहता था भर्ती
तहसीलदार शाही महाविद्यालय सिन्हा में पूजा BA द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। उसके दो जुड़वां भाई आदित्य और उत्कर्ष हैं। पिता बलवंत यादव दिल्ली में पोस्टेड हैं, जबकि जुड़वां भाई कक्षा नौ में पढ़ाई कर रहे हैं। पूरा परिवार शिक्षित है। पूजा अपने भाइयों की भी पिता की तरह सेना और पुलिस में भर्ती कराना चाहती थी।