कानपुर 20 अगस्त मोहर्रम की 10 तारीख को नात-मनकबत व नज़र ए इमाम हुसैन व रौज़ा ए इमाम हुसैन की ज़िरायत गुल पोशी हुई उसके बाद खानकाहे हुसैनी के बाहर शर्बत का वितरण किया गया।
सुबह 10 बजे खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की दरगाह पर कुरानख्वानी हुई। नात-मनकबत में मिट्टी में मिल गया इरादा यज़ीद का लहरा रहा है आज भी परचम हुसैन का, दरिया हुसैन का है समुन्दर हुसैन का प्यासों के वास्ते है लंगर हुसैन का, है आरज़ू वहाँ भी मिले दर हुसैन का, जन्नत मे बनके जाऊ मैं नौकर हुसैन का, सूरज ने अपने सर को अदब से झुका लिया, नेज़े पे जब बुलंद हुआ सर हुसैन का।
खानकाहे हुसैनी साहिबे सज्जादा इखलाक अहमद डेविड चिश्ती हुसैनी ने कहा कि यज़ीद चाहता था कि नमाज़ शराबी हरामखोर, जिनाकारी करने वाले, सूदखोर पढ़ाये, शराब को पीना जायज़ कर दिया औरतों बच्चों बुज़ुर्गों पर अपनी ताकत दिखाता था इन सभी बातों से राज़ी होकर हज़रत इमाम हुसैन यज़ीद के साथ हाथ में हाथ मिलाये। इस पर हज़रत इमाम हुसैन ने जवाब दिया कि मैं अपनी सर कटा सकता हूँ लेकिन यज़ीद से हाथ नहीं मिला सकता। इसी बात से खफा होकर यज़ीद ने जंग शुरु कर दिया और क़र्बला के मैदान में हज़रत इमाम हुसैन के साथ 71 लोग शहीद हुए। आज हज़रत इमाम हुसैन की क़ुर्बानियों की वजह से नेक, परहेज़गार और अल्लाह और उसके रसूल को मानने वालों के लिए इस्लाम ज़िंदा है।
इखलाक अहमद डेविड चिश्ती ने दुआ की ऐ अल्लाह रसूलल्लाह, हसनैन के सदके मुल्क में खुशहाली, अमनों-अमान कायम रहने, मुल्क दहशतगर्द का खात्मा करने, हमारे प्यारे मुल्क से कोरोना वायरस का खात्म कर, कोरोना मरीज़ों को शिफा दे, हम सबको बुराइयों से बचाने, नमाज़ की पाबंदी करने, बेटो-बेटियों को इल्म दिलाने की दुआ की।
प्रोग्राम में इखलाक अहमद डेविड चिश्ती, शाहिद चिश्ती, हाजी मोहम्मद शाबान, अबरार अहमद, मोहम्मद हफीज़, आफताब अहमद, परवेज़ आलम वारसी, ज़ुबैर इदरीसी, निज़ाम हुसैन वारसी, परवेज़ सिद्दीकी, एजाज़ रशीद, मोहम्मद मोहसिन, शाह आलम, मोहम्मद ताशिफ, शमशुद्दीन फारुकी, मोहम्मद शाहनवाज़ अज़हरी, मोहम्मद अरशद खान, अफज़ाल अहमद आदि लोग मौजूद थे।