Type Here to Get Search Results !

मज़बूत हौसलों से रेणु संक्रमण के सामने दीवार खड़ी करने में हुई सफ़ल

 


कोरोना के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए संक्रमितों तक पहुंचायी जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं 

संक्रमण काल में भी जमीनी स्तर पर पोषण अभियान के संचालन में निभायी भागीदारी 

अररिया, 04 दिसंबर 

कोरोना संक्रमण का दौर जब अपने चरम पर था. जब हर तरफ संक्रमित होने की संभावना व इसे लेकर भय का माहौल व्याप्त था. उस मुश्किल दौर में भी स्वास्थ्य कर्मी व स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर काम करने वाले सहयोगी संस्था से जुड़े कई लोग जमीनी स्तर पर लोगों तक जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के कार्य में मुस्तैदी से जुटे थे. कोरोना संक्रमण को नजअंदाज करते हुए अपनी जिम्मेदारियों का तत्परता से निवर्हन करने वाले कर्मियों में रेणु कुमारी का भी नाम शामिल है. पोषण सहित स्वास्थ्य संबंधी अन्य मामलों पर काम करने वाली संस्था पिरामल फाउंडेशन की बीटीएम रेणु ने उस मुश्किल दौर में मानवता की सेवा को ही अपना ध्येय मानकर तथा मज़बूत हौसलों से रेणु संक्रमण के सामने दीवार खड़ी करने में सफ़ल हुई हैं. वह संक्रमण से जुड़ी चिंताओं को नजर अंदाज करते हुए लगातार लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी अन्य योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई. 


भय व भ्रम के उस दौर में थी कई जटिलताएं 

मुश्किल के उस दौर को याद करते हुए रेणु बताती है कि स्वास्थ्य व पोषण संबंधी योजनाओं को ग्रास रूट तक पहुंचाने का जिम्मा हमारे कंधों पर है. उस चुनौतीपूर्ण समय में हर तरफ कोरोना को लेकर भय व भ्रम की स्थिति बनी हुई थी. लिहाजा अपने काम को अंजाम तक पहुंचाने में उन्हें कई जटिलताओं का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने इसका डट कर मुकाबला किया. उन्होंने कहा कि उस दौर में गर्भवती महिलाएं व नवजात से मिलना बेहद मुश्किल था. लोग मिलना नहीं चाहते थे. उन्हें समझाने-बुझाने में काफी वक्त बरबाद होता था. बाद में कई दिनों के प्रयास के बाद लोग मिलने को राजी होते थे. कई गर्भवती महिलाएं भी संक्रमण की चपेट में थी. जो अपने होने वाले शिशु की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को लेकर काफी परेशान रहा करती थी. ऐसे लोगों को बेहतर तरीके से काउंसिलिंग करना मुश्किल होता था. लेकिन उनसे लगातार समन्वय स्थापित कर सुरक्षित प्रसव को लेकर उन्हें आश्वस्त करते हुए उनके हौसले को कभी हमने गिरने नहीं दिया. 


मकसद नेक हो तो मिलती है कामयाबी 

बीटीएम रेणु बताती है कि संक्रमण के उस दौर में कुछ एक जगहों पर उन्हें एनएनएम, आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं का भरपूर सहयोग मिला. तो कुछ जगह ऐसे भी थे. जहां बिना किसी सहयोग के उन्हें अपने स्तर से काफी मशक्कत करनी पड़ी. बावजूद इसके उन्होंने अपना हौसला कभी कम नहीं होने दिया. लिहाजा वे अपनी मकसद में कामयाब होती रही. उस दौर में एक दिन में कई क्वारेंटाइन सेंटर का भ्रमण करना पड़ रहा था. जहां संक्रमण फैलने की संभावना काफी अधिक था. तो लोगों में इसे लेकर लापरवाही अपने चरम पर थी. इन जगहों पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों से समन्वय स्थापित कर उन्हें अपने विश्वास में लेकर कोरेंटिन सेंटर में जरूरी सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में सतत प्रयासरत रही. जब लोगों को लगता था कि मैं सही मायने में लोगों की मदद करना चाहती हूं. तो फिर वे मेरे कदम से कदम मिलाकर सभी अपेक्षित सहयोग के लिये राजी होते थे. 


मुश्किल था लोगों को कोरोना जांच के लिये राजी करना 

शुरूआती दौर में लोग कोरोना संबंधी जांच से कतराते थे. बड़ा मुश्किल होता था लोगों को जांच के लिये राजी करना. ऐसे में लोगों को यह बताना होता था कि बिना जांच के लिये आपके अंदर की बीमारी का पता नहीं लगाया जा सकता है. अगर आप बीमार होंगे तो फिर आपके अपने परिवार के लोग ही नहीं आस-पास के लोगों के भी संक्रमित होने का डर बना रहेगा. देर से ही सही लोग इन बातों को जरूर समझ लेते थे. और जांच के लिये राजी हो जाते थे. पोषण अभियान के संचालन में भी इसी तरह की जटिलताएं थी. तो विभागीय निर्देश के मुताबिक नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्रों व लाभुकों के घर पर ही गोद भराई व अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया जाना था. इन आयोजनों के दौरान संक्रमण से बचाव के तमाम उपायों पर गंभीरता पूर्वक अमल करना हमारी प्राथमिकताओं में शुमार हुआ करता था.

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.