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आंगनबाड़ी सेविकाओं ने डोर-टू-डोर जाकर किया गोदभराई उत्सव का आयोजन



गर्भवती महिलाओं को दी गयी पोषण की पोटली


गर्भावस्था के दौरान उचित पोषण पर की गयी चर्चा


मंगलगीतों के साथ पूरी की गयी गोदभराई की रस्म


छपरा। वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं। ऐसे में केंद्रों पर मिलने वाली सेवाओं को सेविकाओं द्वारा घर पर ही पहुंचाया जा रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं के द्वारा डोर-टू-डोर जाकर गोदभराई उत्सव का आयोजन किया गया। मंगल गीतों से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया और गर्भवती महिला को उपहार के रूप में पोषण की पोटली दी गई है। जिसमें गुड़, चना, हरी पत्तेदार सब्जियां, आयरन की गोली, पोषाहार व फल आदि शामिल थे। महिलाओं को उपहार स्वरुप पोषण की थाली भेंट की गयी, जिसमें सतरंगी व अनेक प्रकार के पौष्टिक भोज्य पदार्थ शामिल थे। गर्भवती महिलाओं को चुनरी ओढ़ाकर और टीका लगाकर महिलाओं की गोदभराई की रस्म पूरी की गई। सभी महिलाओं को अच्छे सेहत के लिए पोषण की आवश्यकता व महत्व के बारे में जानकारी दी गई। 


स्वस्थ माँ ही स्वस्थ बच्चे को दे सकती है जन्म :


आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी बन्दना पांडेय ने कहा कि गोदभराई रस्म में सेविकाओं द्वारा गर्भवती महिलाओं के सम्मान में उसे चुनरी ओढ़ाकर और तिलक लगा कर उनके गर्भस्थ शिशु की बेहतर स्वास्थ्य की कामना की गई। साथ ही गर्भवतियों की गोद में पोषण संबंधी पुष्टाहार फल सेव, संतरा, बेदाना, दूध, अंडा डाल सेवन करने का तरीका बताया गया। साथ ही गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को आयरन की गोली खाने की सलाह दी गई। जिसमें बताया गया कि गर्भवती महिला कुछ सावधानी और समय से पौष्टिक आहार का सेवन करें तो बिना किसी अड़चन के स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं।


पौष्टिक आहार के महत्ता की दी गई जानकारी :


पोषण अभियान के जिला समन्वयक सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर मां का गाढ़ा-पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगले छह माह तक केवल मां का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है। 6 माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है। इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है। घर का बना मसला व गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है। वहीं, कहा कि सामान्य प्रसव के लिए गर्भधारण होने के साथ ही महिलाओं को चिकित्सकों से जाँच कराना चाहिए और चिकित्सा परामर्श का पालन करना चाहिए। 


एनीमिया प्रबंधन की दी गई जानकारी:


पोषण अभियान के जिला परियोजना सहायक आरती कुमारी ने बताया कि गर्भवती माता, किशोरियां व बच्चों में एनीमिया की रोकथाम जरूरी है। गर्भवती महिला को 180 दिन तक आयरन की एक लाल गोली जरूर खानी चाहिए। 10 वर्ष से 19 साल की किशोरियों को भी प्रति सप्ताह आयरन की एक नीली गोली का सेवन करनी चाहिए। छह माह से पांच साल तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार एक-एक मिलीलीटर आयरन सिरप देनी चाहिए।


स्वच्छता एवं साफ-सफाई पर दिया गया बल:


साफ पानी एवं ताजा भोजन संक्रामक रोगों से बचाव करता है। शौच जाने से पहले एवं बाद में तथा खाना खाने से पूर्व एवं बाद में साबुन से हाथ धोना चाहिए। घर में तथा घर के आस-पास सफाई रखनी चाहिए। इससे कई रोगों से बचा जा सकता है।


इन मानकों का रखें ख्याल, कोविड-19 संक्रमण से रहें दूर :


व्यक्तिगत स्वच्छता और दो गज की शारीरिक-दूरी का रखें ख्याल

बार-बार हाथ धोने की आदत डालें

साबुन या अन्य अल्कोहल युक्त पदार्थों से हाथ धोएँ

मास्क और सैनिटाइजर का नियमित रूप से उपयोग करें

भीड़-भाड़ वाले जगहों से परहेज करें

ऑख, नाक, मुँह को अनावश्यक छूने से बचें

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