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राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस: कैंसर के शुरूआती लक्षणों के प्रति जागरूक रहें, संदेश होने पर लें डॉक्टर से सलाह

 


7 नवंबर को मनाया जाता है राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस


केंद्रीय स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय ने सोशल मीडिया के माध्यम से किया जागरूक


समय रहते कैंसर की पहचान प्रभावी उपचार के लिए अहम



छपरा। कैंसर एक ऐसी बीमारी जिसके बारे में जितनी अधिक जागरूकता होगी उतनी ही जल्दी इलाज मिल सकेगा। लोगों के मन में कैंसर के नाम से ही डर ज्यादा है और जानकारी कम। कई बार तो बहुत सारी भ्रांतियां भी हैं जिससे लोग प्रभावित होते हैं, समाज में कैंसर के लिए फैली ऐसी ही भ्रांतियों को दूर करने व ज्यादा से ज्यादा लोगों तक कैंसर के लक्षणों के संबंध में जानकारी पहुंचाने के लिए 7 नंवबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर पोस्टर के माध्यम से आमजनों को कैंसर के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया है। जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ हरीश चंद्र प्रसाद ने कहा  जब शरीर की कोशिकाओं के समूह अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगते हैं तो कैंसर का रूप धारण कर लेते हैं। कैंसर एक ऐसा रोग है जो किसी भी उम्र में हो सकता है। युवाओं में बढ़ती धूम्रपान की लत कैंसर को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा जागरूकता ही इसका सबसे बड़ा बचाव है। कैंसर के इलाज से बेहतर है उससे पहले ही अपना बचाव करना। इसलिए सावधानी और सतर्कता रखना जरुरी है। इससे बचने के लिए इसके विभिन्न कारण और लक्षणों के बारे में जानकारी होना बेहद जरुरी है।


कैंसर के शुरूआती लक्षणों को पहचानें:

कैंसर के प्रमुख लक्षणों में गांठ या सूजन, गले में खराश, एक तिल में परिवर्तन होना, असामान्य रक्तस्त्राव, मूत्राशय या आंतों में परिवर्तन। इसके साथ ही अत्यधिक थकान, बेवजन वजन घटना, कमजोरी, फोड़ा या गांठ का होना, कफ और सीने में दर्द, कूल्हे या पेट में दर्द, महिलाओं में पीरियड्स में तकलीफ, ब्रेस्ट में बदलाव प्रमुख लक्षण हैं।


जल्दी पहचान जल्दी उपचार: 


सिविल सर्जन डॉ माधवेश्वर झा ने बताया   कैंसर के लिए लोगों को यह समझना जरूरी है कि जल्दी पहचान जल्दी उपचार। महिलाओं में स्तन और गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर प्रमुख तौर पर होता है। लेकिन दोनों को ही यदि जल्दी पहचान लिया जाए तो इलाज हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि महिलाएं अपने शरीर में होने वाले किसी भी परिवर्तन को नजरअंदाज न करें। कोई भी परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क करें। 35 की उम्र के बाद हर महिला को जांच कराना चाहिए। महिलाएं जितनी जागरूक होंगी उतना ही कैंसर से खुद को बचा सकती हैं।


इलाज से बेहतर है बचाव पर ध्यान देना:


जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेश चन्द्र कुमार ने आमजनों को जागरूक करते हुए कहा कि जीवन शैली में अनुकूल परिवर्तन एवं वजन को नियंत्रित रखना, सक्रिय रहना, नियमित स्वास्थ्य की जांच एवं समय-समय पर कैंसर की जांच, चेतावनी के संकेत एवं लक्षणों के बारे में जानना, धूम्रपान और शराब का सेवन न करना इससे बचाव के तरीके हैं। उन्होंने बताया कि यह बीमारी लाइलाज नहीं है। तंबाकू कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की जनक है। आज युवा पीढ़ी में तंबाकू सेवन का प्रचलन बहुत ज्यादा है। जो एक बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहा है। तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट का सेवन करने से कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है। उन्होंने बताया कैंसर ज्यादातर नशीले पदार्थों के सेवन से होता है। स्त्रियों में यह बीमारी ज्यादातर स्तन व गर्भाशय अंगों में पनपती है। स्तन कैंसर स्त्रियों द्वारा नवजात बच्चों को पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं पिलाने से भी हो सकता है।

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