• खतरनाक बिमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण जरूरी
• आंगनबाड़ी केंद्रों पर आयोजित की गयी माता बैठक
• यूनिसेफ एसएमसी ने टीकाकरण के महत्व को समझाया
छपरा। जिले में टीकाकरण के लक्ष्य को शत-प्रतिशत हासिल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग कृत संकल्पित है। इसके लिए सामुदाय स्तर पर जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में जिले के मढौरा व अन्य प्रखंडों के आंगनबाड़ी केंद्रों पर यूनिसेफ के जिला समन्वयक आरती त्रिपाठी की अध्यक्षता में माता बैठक आयोजित की गयी। जिसमें गांव के महिलाओं के साथ बैठक कर टीकाकरण के महत्व के बारे में जानकारी दी गयी। इस मौके पर यूनिसेफ के जिला समन्वयक आरती त्रिपाठी ने महिलाओं को बताया, हर गर्भवती महिला को पूरी गर्भावस्था के दौरान टेटनस के दो टीके लगवाने चाहिये। पहला टीका गर्भावस्था का पता चलते ही व दूसरा टीका उसके एक महीने के बाद। ये टीके आनेवाले शिशु को टेटनस से बचाते हैं। अगर पहली गर्भावस्था में टेटनस के दो टीके ले लिए गए और दूसरी गर्भावस्था तीन साल के अंदर हो तब टीटी बूस्टर का ही टीका लगेगा इस मौके पर उन्होंने बच्चों का टीकाकरण यथा बीसीजी, डीपीटी 1, डीपीटी-2, डीपीटी-3 के साथ-साथ खसरा सहित पोलियो की खुराक विटामीन ए की अनिवार्यता संबंधि अन्य जानकारियां प्रदान की।
महिलाओं से की गयी अपील:
बैठक में महिलाओं से अपील की गई कि अपने बच्चों तथा घर की गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से टीका लगवाये। टीकाकरण से कई तरह के गंभीर बीमारियों से बचाव होता है। इससे नवजात शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
6 माह तक शिशुओं को करायें सिर्फ स्तनपान:
एसएमसी आरती त्रिपाठी ने बताया कि सामुदायिक बैठक में महिलाओं को यह जानकारी दी गई कि नवजात शिशुओं को 6 माह तक सिर्फ मां का ही दूध पिलाएं। सिर्फ स्तनपान कराने से नवजात शिशुओं में कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। सिर्फ स्तनपान से ना सिर्फ नवजात को फायदा होता है बल्कि मां को भी कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है। इसलिए नवजात शिशुओं को 6 माह तक सिर्फ मां का दूध पिलाना है बहुत जरूरी है।
टीकाकरण से रोग प्रतिरोधक क्षमता का होगा विकास:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार शर्मा ने कहा कि हमारे शरीर में संक्रमण से बचाव रखने के लिए प्रकृति एक तरह से सुरक्षा होती है जिसे प्रतिरक्षण क्षमता या इम्यूनिटी कहा जाता है। जब हमारे शरीर में कोई संक्रमण होता है तो हमारा शरीर इन संक्रमण से लड़ने के लिए कुछ रसायनों को पैदा करता है जिनको एंटीबॉडीज कहा जाता है। ये एंटीबॉडीज इन्फेक्शन या संक्रमण पैदा करने वाले जीवाणुओं से हमारी रक्षा करते हैं और उसके ठीक होने के बाद भी हमारे शरीर में ही रहते हैं। यह हमारे शरीर में जिंदगी भर के लिए रक्षा करने के लिए रहता है।
कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन :
• एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
• सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
• अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
• आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
• छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।