बिक्रमगंज।नगर परिषद बिक्रमगंज के कार्यपालक पदाधिकारी प्रेमस्वरूपम ने अपने कार्यकाल में स्वतंत्रता( 15 अगस्त) व गणतंत्र दिवस(26 जनवरी) आदि पर्व त्योहारों के मौके पर प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को सरकारी स्तर पर शुभकामना प्रकाशित करने को दी जाने वाली लेटर को अबतक यह कहकर गुमराह व दिग्भर्मित कर वंचित करती रही कि नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव ने राज्य के किसी भी कार्यपालक पदाधिकारी को ऐसे पर्व त्यौहार के अवसर पर नगर के विकास से सबंधित प्रचार प्रसार के लिए जनहित में शुभकामना प्रकाशित करने हेतू सीधे तौर पर सबंधित प्रतिनिधियों को लेटर देने पर प्रतिबंध लगा दिया है।फिर किसके निर्देश पर नगर परिषद बिक्रमगंज के कार्यपालक पदाधिकारी ने बीते स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के अवसर पर कुछ खास अखबारों को शुभकामना प्रकाशित करने के लिए हजारो रुपये की राशि का पत्र जारी किया गया है।ऐसे में क्या नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव का आदेश आड़े नही आया या फिर आदेश की अवहेलना कर किसी के दबिश में शुभकामना विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए नप ने लेटर जारी कर दिया।ऐसे कई अनसुलझे सवाल है जिसका सहजता से जबाब ढूंढने पर भी नही मिल रहा है।विभागीय सूत्रों पर यकीन किया जाय तो 14 अगस्त को पांच लेटर पांच समाचार पत्रों में प्रकाशित करने के लिए आननफानन में तैयार किया गया और सबंधित प्रतिनिधियों को बुलाकर वितरण भी कर दिया गया।वही कई प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को विभाग के प्रधान सचिव के आदेश का हवाला देकर पत्र देने से वंचित कर दिया गया।पत्र जारी होने की बाते नगर के सभापति ने भी स्वीकारा और अगले दिन विभिन्न समाचार पत्रों में देखने को भी मिला।यह घटना मीडियाकर्मियों समेत नगरवासियों में जहां जोरशोर से चर्चा का विषय बना हुआ है वही विभागीय अधिकारी की मनमानीपूर्ण रवैया,कार्य के प्रति बरती जा रही उदासीनता व अर्थलोलुप्ता आदि को लेकर विभाग के कार्यशैली पर अब सवाल उठ खड़ा होने लगा है।हालांकि वाट्सएप के जरिये जिले के कई इओ को मैसेज कर प्रधान सचिव के उस आदेश की छाया प्रति की मांग की गई जिसमें विभाग ने अखबारों को ऐसे मौके पर लेटर देने पर प्रतिबंध लगाया था।लेकिन सप्ताह बीतने के बाद भी जिले के कई इओ ने मैसेज रिसीव करने उपरांत भी इस मामले में खामोश रहना ही बेहतर समझ लिया।उधर आंचलिक पत्रकारों में फुटडालो राज करो इओ के नीति के खिलाफ व कार्यकलापों से खिन्न होकर पत्रकारों ने सरकार समेत विभाग के प्रधान सचिव को पत्र भेजकर पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने व दोषी अधिकारी को शीघ्र निलंबित करने की मांग की गई है।