उप संपादक :- मंजय लाल सत्यम
ईमानदारी और मेहनत जब रंग लाती है , तो आदमी को सबसे ऊंचा और अलग बैठाती है, बहादुर और साहसी बहुतों की तक़दीर बन जाता है , डॉ.अनिल जैसा जाबांज अधिकारी जमाने की नजीर बन जाता है" चंपारण के सुख्यात कवि मुकुंद मुरारी राम की ये पंक्तियां आज सटीक साबित हो रही हैं जब डॉ.अनिल जैसा एक जाबांज अधिकारी अपनी काबिलियत से सूबे को गौरवान्वित और महिमामंडित कर रहा है।
पुलिस सेवा में रहते हुए डॉ.अनिल कुमार का जीवन ज्ञान,विज्ञान और आध्यात्म से ओत–प्रोत रहा है। गृह विभाग भारत सरकार ने जब इस सम्मान हेतु डॉ. अनिल के नाम की घोषणा की तो उनके परिचित और चाहने वालों में खुशी की लहर दौड़ गई जिसका एक उदाहरण बने पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता और मानवाधिकार निष्पक्ष ब्यूरो के राष्ट्रीय विधिक सलाहकार मनौवर आलम और अधिवक्ता अमित पांडेय। पुलिस इंस्पेक्टर डॉ. अनिल कुमार पाण्डेय पुत्र स्वर्गीय मुनीश्वर पाण्डेय जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा , जिला देवरिया , बरहज थाना के थानाध्यक्ष के पद पर पदस्थापित हैं।इन्हें 15 अगस्त 2020 को भारत सरकार गृह मंत्रालय द्वारा उत्कृष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया है।ये मूल रूप से ग्राम ओरा थाना राजपुर जिला बक्सर के निवासी हैं तथा पटना के कंकड़बाग मुहल्ले में एम आई जी एच 295 में इनका स्थाई निवास हैं।1997-98 बैच में उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में इनका चयन हुआ था । इलाहाबाद विशवविद्यालय से संस्कृत से पारास्नातक व वहीं से पी एच डी की उपाधि प्राप्त की। कठिन सेवा में कार्यरत होने के बावजूद इनकी रुचि पठन– पाठन में होने के कारण अद्वैत वेदांत पर एक अप्रतिम पुस्तक "अद्वैत वेदांत में अविद्या की अवधारणा " भी उन्होंने लिखी है।इनकी प्रारम्भिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय दानापुर केंट से हुई उसके बाद केंद्रीय विद्यालय कंकड़बाग से इन्होंने इंटर सन 1983 में किया है।
इस उपलब्धि के लिए इनके विद्यालय व गृह जिला को इन पर नाज़ है। मनौवर आलम अमित पांडेय और साहित्य शताब्दी सम्मान प्राप्त चंपारण के युवा कवि मुकुंद मुरारी राम ने सहृदय बधाई देते हुए इंस्पेक्टर् डॉ. अनिल कुमार पाण्डेय के उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ साथ उन्हें राष्ट्र का धरोहर और अभिमान बने रहने की शुभकामना भी दी। अधिवक्ता अमित पांडेय ने कहा पुलिस सेवा में आज के परिवेश में ऐसे जाबांज अधिकारी का होना अपने आप में सौभाग्य का पल है और ऐसे अधिकारी का इतना बड़ा सम्मान और अभिनन्दन तो भारतीय संस्कृति की शाश्वत परंपरा का एक मूर्त रूप है जो कभी –कभी डॉ.अनिल जैसे योद्धाओं के कंधों पर जाग उठता है और एक अमिट छाप छोड़ जाता है।
ईमानदारी और मेहनत जब रंग लाती है , तो आदमी को सबसे ऊंचा और अलग बैठाती है, बहादुर और साहसी बहुतों की तक़दीर बन जाता है , डॉ.अनिल जैसा जाबांज अधिकारी जमाने की नजीर बन जाता है" चंपारण के सुख्यात कवि मुकुंद मुरारी राम की ये पंक्तियां आज सटीक साबित हो रही हैं जब डॉ.अनिल जैसा एक जाबांज अधिकारी अपनी काबिलियत से सूबे को गौरवान्वित और महिमामंडित कर रहा है।
पुलिस सेवा में रहते हुए डॉ.अनिल कुमार का जीवन ज्ञान,विज्ञान और आध्यात्म से ओत–प्रोत रहा है। गृह विभाग भारत सरकार ने जब इस सम्मान हेतु डॉ. अनिल के नाम की घोषणा की तो उनके परिचित और चाहने वालों में खुशी की लहर दौड़ गई जिसका एक उदाहरण बने पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता और मानवाधिकार निष्पक्ष ब्यूरो के राष्ट्रीय विधिक सलाहकार मनौवर आलम और अधिवक्ता अमित पांडेय। पुलिस इंस्पेक्टर डॉ. अनिल कुमार पाण्डेय पुत्र स्वर्गीय मुनीश्वर पाण्डेय जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा , जिला देवरिया , बरहज थाना के थानाध्यक्ष के पद पर पदस्थापित हैं।इन्हें 15 अगस्त 2020 को भारत सरकार गृह मंत्रालय द्वारा उत्कृष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया है।ये मूल रूप से ग्राम ओरा थाना राजपुर जिला बक्सर के निवासी हैं तथा पटना के कंकड़बाग मुहल्ले में एम आई जी एच 295 में इनका स्थाई निवास हैं।1997-98 बैच में उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में इनका चयन हुआ था । इलाहाबाद विशवविद्यालय से संस्कृत से पारास्नातक व वहीं से पी एच डी की उपाधि प्राप्त की। कठिन सेवा में कार्यरत होने के बावजूद इनकी रुचि पठन– पाठन में होने के कारण अद्वैत वेदांत पर एक अप्रतिम पुस्तक "अद्वैत वेदांत में अविद्या की अवधारणा " भी उन्होंने लिखी है।इनकी प्रारम्भिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय दानापुर केंट से हुई उसके बाद केंद्रीय विद्यालय कंकड़बाग से इन्होंने इंटर सन 1983 में किया है।
इस उपलब्धि के लिए इनके विद्यालय व गृह जिला को इन पर नाज़ है। मनौवर आलम अमित पांडेय और साहित्य शताब्दी सम्मान प्राप्त चंपारण के युवा कवि मुकुंद मुरारी राम ने सहृदय बधाई देते हुए इंस्पेक्टर् डॉ. अनिल कुमार पाण्डेय के उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ साथ उन्हें राष्ट्र का धरोहर और अभिमान बने रहने की शुभकामना भी दी। अधिवक्ता अमित पांडेय ने कहा पुलिस सेवा में आज के परिवेश में ऐसे जाबांज अधिकारी का होना अपने आप में सौभाग्य का पल है और ऐसे अधिकारी का इतना बड़ा सम्मान और अभिनन्दन तो भारतीय संस्कृति की शाश्वत परंपरा का एक मूर्त रूप है जो कभी –कभी डॉ.अनिल जैसे योद्धाओं के कंधों पर जाग उठता है और एक अमिट छाप छोड़ जाता है।