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*बिहार के पश्चिम चंपारण के रामनगर में एक शाम शहीदों के नाम आयोजित*

_ठाकुर रमेश शर्मा -नरकटियागंज_रामनगर पश्चिमी चंपारण (बिहार)_

_दिनांक:-24-03-2024_


बिहार राज्य के पश्चिमी चंपारण अंतर्गत रामनगर थाना के सामने संस्कृत उच्च विद्यालय के प्रांगण में शहीदों के याद में शुक्रवार के शाम एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया।

शहीद भगत सिंह स्मारक के तत्वाधान में रामनगर के महान समाजसेवी शेख औरंगजेब के द्वारा विगत 31 वर्षो से लगातार यह कार्यक्रम आयोजित होता चला आ रहा है।

शुक्रवार को शाम आयोजित इस कार्यक्रम में शहीद भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव को देश के लिए दी गई शहादत को याद किया गया।

23 मार्च 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फासी दी गई थी।मगर इतने बेखौफ थे कि अपने फांसी के कुछ घंटे पहले उस मुस्लिम सफाईकर्मी बेबो से अनुरोध करते है की वह उनके लिए घर से खाना लेकर आए। भगत सिंह की छोटी सी काल कोठरी की सफाई बेबो ही किया करती थी।

दरअसल भगत सिंह इंसानी मूल्यों को उस अंतिम क्षण तक याद रखना चाहते थे। भगत सिंह को फांसी का भय या फर्श का रूखापन नही सता रहा था,बल्कि उन्हें किताबे याद आ रही थी क्योंकि वो किताब के दीवाने थे।

फांसी के कुछ एक घंटे पहले तक बस किताब पढ़ते रहना चाहते थे।

उसी लाहौर सेंट्रल जेल में अपने तर्कों से भगत सिंह को समझाने में अनेकों प्रयास किए।क्योंकि भगत सिंह ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानते थे। भगत सिंह में अहंकार बिलकुल नहीं था। वह बस एक मनुष्य थे।फांसी के तख्त की ओर बढ़ते समय एक गीत भी गा रहे थे ""दिल से निकेलगी न 



मरकर भी वतन की उल्फत,मेरी मिट्टी से भी खुशबू - ए वफ़ा आएगी"" वह सुरीले गीत भी थे।

भगत सिंह का जीवन उस है युवा को यह सिखाता है की देशभक्ति सिर्फ नारे लगाने से नही आती,बहुत पढ़ने - लिखने एवं वैचारिक स्तर पर विकसित होने से आती है,तभी व्यक्ति साहस कर पाता है।

शहीद भगत सिंध स्मारक समिति रामनगर के अध्यक्ष शेख औरंगजेब,व्यापारिक संघ के महामंत्री अनिल राय,मंत्री फिरोज राईन,शेख समीम अंसारी, तारीख़ तबरेज़,अनिल पाठक,राजेश दुबे,सदाकांत शुक्ल,गौतम राव, कन्हैया जी,वनफुल खां,सुनील गुप्ता,राजू गुप्ता,अनिल केशरी,राजू गुप्ता,विजय गुप्ता,ठाकुर रमेश शर्मा (पत्रकार),मधुकर राय,अशोक राव,सुनील आनंद,रविन्द्र तिवारी,गौरव वर्मा,थानाध्यक्ष अनंत राम,प्रखंड विकास पदाधिकारी सहित हजारों की संख्या में महिला-पुरुष ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में भागीदारी निभाई।

देशभक्ति से संबंधित अनेकों सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रोफेसर असलम के नेतृत्व में उनके टीम की द्वारा प्रस्तुत किया गया।

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