_रमेश ठाकुर-मानवाधिकार एवं अपराध रिपोर्टर प०चम्पारण(बिहार)_
बिहार में छठ पर्व के गुजरने के बाद डेंगू मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।शहर से लेकर ग्रामीण इलाके में डेंगू का कहर जारी है।पटना सहित राज्य के विभिन्न इलाकों में डेंगू मरीज मिल रहे हैं।इस साल सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो डेंगू ने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पटना जिले में डेंगू बीमारी का प्रकोप इतना अधिक है कि इसने अपना बीते छह साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।साल 2016 से 2021 के बीच वर्ष 2019 में 2905 मरीज मिले थे, जिसका रिकॉर्ड जिले में कई दिन पहले ही टूट चुका है।अब तक जिले में 5529 से भी ज्यादा डेंगू के नये मरीज मिल चुके हैं।
एक समय था जब 1996-1997 में पूरे भारत सहित राजधानी दिल्ली में डेंगू का प्रकोप था। आज भी दिल्ली का हालात बहुत अच्छा नही है।
प०चम्पारण में अभी तक डेंगू वायरस का दवा का छिड़काव नही हुआ है।डेंगू का प्रकोप जारी है।हमारे आस-पास कई लोग बुखार से या डेंगू से पीड़ित हैं। बिहार में अबतक डेंगू के वजह से हजारो लोगो की जान तक चली गई है। लेकिन मजाल है,जो अधिकारियों को उनकी निद्रा से जागा दे! अधिकारियों से लेकर गांव के मुखिया तक , सब भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। सरकार से आए पूरे पैसों को अधिकारी स्वयं अपने पास रखकर बैठ जाते है। बगहा अनुमंडल के साथ रामनगर प्रखंड में डेंगू का प्रकोप काफी भयावह है।भ्रष्टाचारी अधिकारियों के वजह से बिहार के जनता के द्वारा सरकार पर आरोप लगाया जाता है।
अब देखना यह है कि सरकार इन भ्रष्टाचारियो के खिलाफ क्या फैसला लेती है जिससे बिहार का स्वास्थ्य विभाग बदनामी के घेरे से बाहर आ सके।
बिहार में लगभग एक परिवार में एक आदमी डेंगू तथा बुखार से ग्रसित है।प०चम्पारण के सिविल सर्जन के उदाशीन रवैया के वजह से इसपर कोई नीति नही बन पा रहा है और नाही कोई पहल हो रहा है।