• लोगों के मन से खत्म हो रहा है कोरोना का डर
• कोविड अनुरूप व्यवहारों को लोगों ने बनाया जीवन का हिस्सा
• जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में सामान्य हुई स्थिति
छपरा। एक समय था जब लोग अस्पताल जाने के नाम से कतराते थे। देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए लॉकडाउन लागू किया गया था। कोरोना वायरस को लेकर लोगों के मन में डर व भय व्याप्त था। स्थिति ऐसी थी कि लोग बीमार पड़ने के बावजूद भी अपना इलाज कराने जाने से कतराते थे। लेकिन अब यह तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। देश से लॉकडाउन हटा दिया गया। स्वास्थ्य संस्थानों को पहले के तरह संचालित कर दिया गया। जिले के सदर अस्प्ताल समेत सभी स्वास्थ्य संस्थानों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करायी जा रही है। अब लोग भी अपना इलाज कराने बेझिझक स्वास्थ्य संस्थानों पर पहुंच रहें। इसका मतलब यह नहीं है कोरोना संक्रमण खत्म हो गया, बल्कि संक्रमण के मामले कम हुए है। लोगों ने भी अपने व्यवहार में परिवर्तन किया है। कोविड अनुरूप व्यवहार को अपने जीवन के हिस्से में शामिल किया है।
ओपीडी में प्रतिदिन आते है 600 से 700 मरीज:
कोरोना काल में सदर अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य संस्थानों के ओपीडी सेवा को भी कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया गया था। लेकिन कुछ महिने पहले की सभी ओपीडी सेवा को सुचारू कर दिया गया। अब पहले की तरह सदर अस्पताल के ओपीडी में प्रतिदिन 600 से 700 मरीज आ रहे है। यहां सभी तरह के जरूरी दवाओं के साथ बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करायी जा रही है।
अब बेझिझक पहुंच रहे लोग:
सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने कहा कि कोरोना का संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ है। भले हीं संक्रमण के मामले कम हुए है। अब स्थिति बदल रही है। पहले के तरह अस्पताल में मरीजों की भीड़ जुट रही है। पहले लोग अस्पताल में आने से भी डरते थे। गर्भवती महिलाएं भी सरकारी अस्पताल में नहीं आ पाती थी। लेकिन अब स्वास्थ्य संस्थानों में सभी सेवाएं बहाल कर दी गयी है। अस्पतालों में आने वाले सभी लोगों से अपील की जा रही है कि कोविड अनुरूप व्यवहार को पालन करें।
कोरोना से बचाव के लिए सावधानी अभी भी जरूरी:
सदर अस्पताल के ओपीडी में इलाज कराने आये सदर प्रखंड के लाल बाजार निवासी कृष्णा राम कहते हैं “कोरोना से बचाव के लिए सावधानी अभी भी जरूरी है। खासकर जब कोई व्यक्ति अस्पताल जाता है तो वहां मास्क का उपयोग करना बहुत जरूर हो जाता है। क्योंकि अभी हमारे देश के सभी वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटे है। अभी वैक्सीन तैयार नहीं हुई है, तब तक हम सभी सावधानी बरतना आवश्यक है”
सरकारी अस्पताल हीं बना सहारा:
सदर अस्पताल में इलाज कराने आयी रिविलगंज निवासी सीमा देवी का कहना है कि “यह बदलाव साबित करता है कि सेहत के साथ-साथ अब सतर्कता मनुष्य की प्राथमिकता बन गयी है। सरकारी अस्पतालों में आमूलचूल आधुनिक परिवर्तन हुए हैं आगे और भी होंगे क्योंकि निजी अस्पताल कोविड-19 महामारी में खास कारगर साबित नहीं हुए हैं। कोरोना काल में सरकारी अस्पताल हीं लोगों का सहारा बना”