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ग्रामीणों ने पेश की जागरूकता की मिसाल: 3 हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव में आज भी नहीं हुआ कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित

 


लॉकडाउन के दौरान हर किसी ने किया नियमों का पालन


बाहर से आने वाले व्यक्तियों ने क्वारेंटाइन अवधि को किया पूरा

अब सावधानी व सतर्कता के साथ करते है अपना काम


लोगों ने कोविड अनुरूप व्यवहार को अपनाया


छपरा। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया था। सभी लोग अपने-अपने घरों में थे। जिले में कोरोना संक्रमण का प्रसार तेजी से बढ़ रहा था। लोगों में एक अलग डर कायम था। जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर गड़खा प्रखंड के मीरपुर जुअरा गांव के लोगों की एकजुटा व जागरूकता ने एक सकरात्मक उदाहरण पेश किया है। लोगों की जागरूकता इस कदर है कि इस गांव अब तक एक भी व्यक्ति कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है। करीब 3 हजार से अधिक के आबादी वाले इस गांव में लोगों ने साबित कर दिया है कि कोरोना से बचना है तो सावधानी सर्तकर्ता बेहद जरूरी है। उसी का परिणाम है कि इस गांव का कोई भी व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ है। 


लोगों ने पूरी गांव का कर दिया था घेराबंदी:

जब कोरोना संक्रमण अपना रौद्र रूप दिखा रहा था और देश में लॉकडाउन लागू किया गया था। तब यहां के लोगों ने अपने गांव में अलग से लॉकडाउन लगाया था। गांव के मुख्य सड़क को बांस-बल्ले से घेराबंदी कर बाहरी लोगों की आवागमन पर रोक लगा दी थी। ताकि कोई भी व्यक्ति इस गांव में प्रवेश न कर सके और कोरोना संक्रमण से पूरा गांव सुरक्षित रह सके। लोगों की मेहनत, जारूकता एवं एकजुटता ने इस गांव को अब संक्रमण से दूर रखा है। लोगों का कहना है कि आगे भी कोरोना से बचाव के लिए जारी नियमों का पालन करते रहेंगे। 


किसी ने खेत में तो किसी ने मठिया में रहकर क्वारेंटाइन अवधि को किया पूरा:

जब लॉकडाउन हुआ तो हर किसी की मंजिल थी कि किसी तरह अपने घर पहुंचे। किसी तरह मजदूर पैदल चलकर अपने घर भी पहुंचे लेकिन कोरोना के डर से पास होकर भी अपने परिवार के लोगों से दूर रहना ही मुनासिब समझा। बाहर से आने वाले व्यक्तियों में किसी ने खेत में मचान बनाकर, तो किसी ने गांव के बाहर मठिया में रहकर क्वारेंटाइन अवधि को पूरा किया। इस गांव में आने वाले हर किसी ने नियमों का पालन किया। जिनके घर में होम क्वारेंटाइन की सुविधा थी,  वे लोग भी सख्ती से नियमों का पालन किये और पूरा गांव को सुरक्षित रखने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन किया। 


मैं 21 दिनों तक होम क्वारेंटाइन रहा:


“जब देश में लॉकडाउन लागू हुआ तो मेरा काम भी बंद हो गया। फिर मैं दिल्ली से किसी तरह अपने गांव आया। गांव आने के बाद मैंने नियमों का पालन करते हुए 21 दिनों तक होम क्वारेंटाइन की अवधि को पूरा किया। अब में घर पर खेती-बारी का काम कर रहा हूं”।


बबलू कुमार उपाध्याय, मीरपुर जुअरा


जागरूक करना हम सबकी जिम्मेदारी:

“कोरोना की लड़ाई में पूरा देश एक जुट है ऐसे में एक जनप्रतिनिधि होने के नाता मैं हमेशा लोगों को जागरूक करते रहता हूं। जागरूकता का बेहतर उदाहरण हमारा गांव है। इससे यह साबित होता है कि जागरूकता हीं बचाव का बेहतर उपाय है”।


उमाशंकर राय, पूर्व उपमुखिया, मीरपुर जुअरा, सारण


हमारा गांव पीएम मोदी के अपील को किया स्वीकार:


“कोरोना से बचाव के लिए लगातार सरकार प्रयास किया जा रहा है। पीएम मोदी के द्वारा भी लोगों से नियमों का पालन करने की अपील की जा रही है। हमारे गांव के लोगों ने प्रधानमंत्री के अपील को स्वीकार किया है”। 


टुनेश्वर सिंह, सेनावृति, बीएसएफ जवान


हमेशा जागरूकता पाठ पढ़ाना हमारा कर्तव्य:

“एक शिक्षक होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि कोरोना से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करें। मैं अपने आस-पास के लोगों को हमेश जागरूक करती हूं और खुद जब भी घर से बाहर जाती हूं तो नियमो का पालन करती हूं”। 


करूणा सिंह, शिक्षिका


जरूरत न हो तो घर की दहलीज को पार न करें:

“कोरोना का संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ है। नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है। ऐसे में बिना आवश्यक कार्य के घर की दहलीज को पार न करें। इससे हम खुद व हमारा समाज सुरक्षित रहेगा”


सरिता देवी, गृहणी, मीरपुर जुअरा

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