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बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनाने को भटक रहे हैं परिजन


समस्तीपुर जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर विभूतिपुर प्रखंड में इन दिनों नवजात बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने को लेकर परिजन हॉस्पिटल प्रखंड सहित अन्य कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं फिर भी उनका प्रमाण पत्र नहीं बन पाता है एक परिजन ने बताया कि कई दिन से हॉस्पिटल और अन्य जगहों पर चक्कर लगा रहे हैं लेकिन प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है कोई कहता है कर्मचारी से मिले हो तो कोई कुछ कोई कुछ बेवजह दौड़ाया जा रहा है किसी तरह का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है जब उनसे यह पूछा गया कि बच्चे का जन्म कहां हुआ तो उन्होंने बताया कि विभूतिपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रात के करीब राघव 10:00 बजे प्रसव के लिए आए थे मरीज को हॉस्पिटल के अंदर ले जाया गया था आशा कार्यकर्ता के द्वारा करीब 12:00 बजे आशा कार्यकर्ता के द्वारा जानकारी दिया गया कि परसेंट की हालत बहुत खराब है इसे कहीं दूसरे जगह ले जाना पड़ेगा आनन-फानन में आशा कार्यकर्ता के कहने पर उसे स्थानीय एक निजी क्लीनिक में ले जाया गया जहां ऑपरेशन के माध्यम से बच्चा को निकाला गया उसके बाद जन्म प्रमाण पत्र बनाने को लेकर आशा कार्यकर्ता को कहने पर आशा कार्यकर्ता ने कहा कि ठीक है बन जाएगा लेकिन हॉस्पिटल से संपर्क करने पर पता चला कि बच्चे का जन्म यहां नहीं हुआ इसलिए यहां से जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनेगा जब पूछा गया कि क्या मरीज को यहां से रेफर किया गया तो बताया गया कि यहां मरीज को रेफर किया ही नहीं गया यहां मरीज का नाम ही नहीं है इस तरह के दर्जनों मामले देखने को मिले हैं जहां आशा कार्यकर्ता के मनमानी के कारण व्हाट्सएप में आई महिला को इमरजेंसी बता कर नी जी हॉस्पिटल में ले जाने का होड़ लगी हुई है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रात के 10:00 बजे के बाद जो भी मरीज हॉस्पिटल में प्रसव के लिए आती है उसे आशा कार्यकर्ता के द्वारा पर सब रूम में रखा जाता है कुछ घंटे के बाद परिजन को खतरा बताकर स्थिति दयनीय बता कर किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाने को कह कर आनन-फानन में उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाकर ऑपरेशन के माध्यम से डिलीवरी कराया जा रहा है जिसमें आशा कार्यकर्ता को प्राइवेट हॉस्पिटल वालों के द्वारा मेहनत आना दिया जाता है शायद इसी के लोग में आकर बेवजह स्वास्थ्य कर्मियों की मदद से नॉर्मल प्रसव परसेंट को भी खतरा बताकर प्राइवेट हॉस्पिटल भेज दिया जाता है। जबकि उक्त मरीजों का नाम सरकारी हॉस्पिटल की रजिस्टर में भी दर्ज नहीं किया जा रहा है घंटे 2 घंटे रखने के बाद उसे सीरियस बता कर वेदर रेफर के भेज दिया जाता है प्राइवेट हॉस्पिटलों में जिस कारण प्रसव में आई मरीजों को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाता है नाही सही ढंग से उन्हें दवा मिल पाती है नहीं बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बन पाता है इस संबंध में पूछे जाने पर स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि जिन महिला का नाम रजिस्टर पर है उन्हीं को यहां से जन्म प्रमाण पत्र बन सकता है जिन लोगों का बाहर प्राइवेट अस्पताल में प्रसव हुआ है उनका प्रखंड से बनेगा यहां से नहीं बनेगा आशा कार्यकर्ता और कुछ स्वास्थ्य कर्मियों की मनमानी और लोभ के कारण मरीजों को काफी नुकसान हो रहा है उन्हें आर्थिक शारीरिक मानसिक हर तरह के कष्ट  मिल रहा है जिसे देखने वाला कोई नहीं है हर टेबल ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार के दलदल में फंसती जा रही है एक स्वास्थ्य कर्मी नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया कि एक मरीज को यहां से बहला फुसलाकर या खतरा बताकर प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाने पर आशा कार्यकर्ता को 3000 से ₹5000 प्राइवेट हॉस्पिटल वालों के द्वारा दिया जाता है कारण आशा कार्यकर्ता और कुछ स्वास्थ्य कर्मियों की मदद से मरीजों को खतरा बताकर यहां से बगैर रेफर बगैर रजिस्टर मेंटेन के भेज दिया जाता है सुनीता पूनम सोनी  और कामिनी देवी नाम के कुछ कुछ मरीजों से पूछने पर मरीजों ने बताई की हम लोग रात के समय में आए थे जहां से हम लोगों को रेफर कर दिया गया था बगैर कागज मेंटेन के और अब हमें ₹2000 भी नहीं मिल रही है नहीं बच्चे का प्रमाण जन्म प्रमाण पत्र बन रहा है इसी तरह के मामले में बीते दिन दो पक्षों के बीच काफी तनातनी हुई यहां तक की मारपीट की भी नौबत आ गई थी उक्त झगड़े इसलिए हुए थे की इस तरह के जो रवैया आशा कार्यकर्ता के द्वारा है उसका विरोध किया गया जिस वजह से दो गुटों के लोगों में झड़प हो गई थी और स्थिति मारपीट तक पहुंच गई थी

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