उप संपादक : मंजय लाल सत्यम
बेतिया। बिहार के पश्चिमोत्तर क्षेत्र पश्चिम चम्पारण जिला में किसानो की सुधि लेने वाला कोई नहीं है। जिला के किसान बाढ़ की तबाही झेल चुके है, कुछ मिलहों की तबाही झेल रहे है, इन सबसे उबरने के बाद अब उन्हें मौसम की मार एक बार फिर झेलने को विवश होना पड़ा है। किसानो की कमर बरसात व तेज हवा ने तोड़कर रख दिया है। किसानो की धान की तैयार फसल खेतों मे गिरने से काफी क्षति हुई है। नदी के किनारे वाले खेतों की फसल फिर से डूब गयी है, जिससे फसल होने के आसार नहीं है। सोमवार, मंगलवार और बुधवार की वर्षा ने नदियों में उफान ला दिया और खेतों में लगी फसले डूब गयी है, जिससे उनके बर्बाद होने की स्थिति है। किसान अमिताभ चंद्रन, रामकृष्ण सिंह यादव व अन्य ने बताया कि पहले बाढ की तबाही से बची फसल तैयार होने से पहले तेज़ हवा और वर्षा तथा नदी के पानी की भेंट चढ़ गयी है। किसान विजय राव, छांगुर यादव, राजू वर्मा ने बताया कि किसान अन्न उपजाकर देश का भंडार भरते हैं अलबत्ता उनके पेट खाली रह जाते हैं, जिनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। लेकिन सरकार किसानो के हित मे आज तक कुछ खास नही कर पाई। किसान बैंको के कर्ज मे डुबे हुये है, लेकिन किसान उनका कर्ज माफ करने के बजाय अन्य पूंजीपतियों का क़र्ज़ माफ़ करने में लगी है। किसानो ने बताया कि सरकार किसानो के कर्ज से ज्यादा राशि अन्य योजनाओं मे खर्च कर रही है, लेकिन किसानो के कर्ज के बारे मे कुछ भी नही कर रही है। जिससे किसान दोहरी मार झेलने को बाध्य है। किसानो ने सरकार से फसलो के मुआवज़े की है।