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*मानवता की मिसाल: एपी पाठक ने गंभीर मरीज को दिलाया जीवनदान*

_रमेश ठाकुर - नरकटियागंज पश्चिम चंपारण_

_दिनांक:-25-11-2025_


चंपारण के लोगों के लिए हमेशा संबल बनकर खड़े रहने वाले बाबु धाम ट्रस्ट के संस्थापक एवं पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह एपी पाठक ने एक बार फिर मानवीय संवेदना का अनूठा उदाहरण पेश किया है। नरकटियागंज के वार्ड 19, मूलतः केहूनिया निवासी राजेश गुप्ता दिल्ली के बत्रा अस्पताल में गंभीर स्थिति में भर्ती थे। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें प्रतिदिन ₹4500 की दर वाले सामान्य वार्ड में रखा गया था, जहाँ सुविधाएँ सीमित थीं और इलाज भी कठिनाई से आगे बढ़ रहा था।


*एपी पाठक के हस्तक्षेप से मिला बेहतर इलाज*


स्थिति की जानकारी मिलते ही एपी पाठक ने तुरंत अस्पताल प्रशासन से बात की। परिणामस्वरूप, राजेश को उसी शुल्क पर ऐसे उन्नत वार्ड में शिफ्ट किया गया, जहाँ सामान्यतः ₹10,000 प्रतिदिन का खर्च आता है। इससे न केवल उन्हें बेहतर चिकित्सकीय देखभाल मिली, बल्कि इलाज की गति भी तेज हो गई। सर्जरी भी प्राथमिकता के आधार पर कराई गई।


*अस्पताल बिल में भी भारी राहत दिलवाई*


डिस्चार्ज के समय भी एपी पाठक ने अस्पताल प्रबंधन से बातचीत कर कुल बिल में उल्लेखनीय कमी कराई। इससे मरीज के परिवार पर आर्थिक बोझ काफी हद तक कम हो गया।


*“मेरे लिए मसीहा हैं एपी पाठक”—राजेश गुप्ता*


समाचार प्रतिनिधि से बातचीत में भावुक राजेश गुप्ता ने कहा,

“एपी पाठक ने मेरे लिए ईश्वर की तरह कार्य किया। उनका एक फोन मेरे जीवन की बड़ी परेशानी हल कर गया। उन्होंने मेरी जान बचाई और बेहतरीन इलाज कराया। मैं उनका ऋणी हूँ।”


*सालों से ज़रूरतमंदों के जीवन में रोशनी*


एपी पाठक की यह पहल कोई पहली घटना नहीं है। पिछले डेढ़ दशक से वे चंपारण और आसपास के हजारों जरूरतमंदों को आर्थिक, चिकित्सकीय और सामाजिक सहायता प्रदान कर चुके हैं। AIIMS, PGI, PMCH, IGIMS, पार्थो हॉस्पिटल सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों में असंख्य गरीब, बुजुर्ग, महिलाओं और युवाओं का इलाज उनके सहयोग से हुआ है—वह भी बिना प्रचार और बिना दिखावे के।


*विकलांगता प्रमाणपत्र व्यवस्था में भी बड़ा योगदान*


देश में विकलांगता प्रमाणपत्र को जिला स्तर से हटाकर अनुमंडल व प्रखंड स्तर पर जारी करने की ऐतिहासिक व्यवस्था लागू करवाने में भी एपी पाठक की अहम भूमिका रही है। इस बदलाव से लाखों लोगों को सुविधा मिली है।


*मानवता ही उनकी पहचान*


एपी पाठक की सेवाएँ यही संदेश देती हैं कि—“जहाँ पीड़ा है, वहाँ एपी पाठक हैं… और जहाँ जरूरतमंद हैं, वहाँ बाबु धाम ट्रस्ट है।”

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