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टेक्नोलॉजी में बिहार की धमाकेदार एंट्री: बगहा के युवा वैज्ञानिक की शानदार खोज*

 


_रमेश ठाकुर - बगहा (पश्चिम चंपारण)_

_दिनांक: 13 जून 2025_


बगहा एक बार फिर गौरवान्वित हुआ है। आनंद नगर वार्ड नंबर 16 निवासी श्री संजय तिवारी जी के ज्येष्ठ सुपुत्र डॉ. आदित्य अंशुल ने एक ऐसी अत्याधुनिक तकनीकी डिवाइस विकसित की है, जो पाइरेसी यानी झूठे मालिकाना दावे की तुरंत पहचान कर सकेगी। यह डिवाइस अब बताएगा कि किसी चिप या सॉफ़्टवेयर पर असली मालिकाना हक़ किसका है।


डॉ. आदित्य अंशुल, जो वर्तमान में आईआईटी इंदौर से पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च कर रहे हैं, ने यह नवाचार प्रो. अनिर्बल सेनगुप्ता के निर्देशन में काम कर रही रिसर्च टीम में बतौर ट्रांसलेशनल रिसर्च फेलो के रूप में किया। यह उपलब्धि न केवल बगहा बल्कि बिहार और पूरे देश के लिए गर्व का विषय बन गई है।


इस तकनीक की खासियत यह है कि यह डीएनए फिंगरप्रिंटिंग के सिद्धांत पर काम करती है, जिससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि किसी चिप, सॉफ्टवेयर या तकनीकी उत्पाद का असली निर्माता कौन है। अब कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे के सृजन पर अपना नाम चिपकाकर बच नहीं सकेगा। इस तकनीक से जहां भारत में तकनीकी चोरी और सॉफ्टवेयर पाइरेसी पर लगाम लगेगी, वहीं यह वैश्विक स्तर पर भी एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।


जैसे ही इंदौर के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में इस आविष्कार की खबर छपी, बगहा के बुद्धिजीवी वर्ग और सामाजिक प्रतिनिधियों में खुशी की लहर दौड़ गई।

आनंद नगर वार्ड संख्या 16 स्थित डॉ. अंशुल के पैतृक निवास पर बधाई देने वालों का तांता लग गया।

लोगों ने उनके पिता श्री संजय तिवारी को मिठाई खिलाकर इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर हर्ष जताया।


बगहा का यह लाल अब केवल अपने जिले का नहीं, बल्कि “बिहार का गौरव” बन गया है।

डॉ. आदित्य अंशुल को उनके उज्ज्वल भविष्य की अनंत शुभकामनाएं।

उनके इस प्रयास ने यह सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती, बस दिशा और संकल्प चाहिए।

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