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*अंतराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर मेहनती को सलाम*

_ठाकुर रमेश शर्मा - नरकटियागंज_रामनगर पश्चिमी चंपारण (बिहार)_

_दिनांक:-01-05-2024_


निश्चित ही मजदूर है तो यह श्रष्टि है। मजदूरों की मेहनत से ही इस संसार का निर्माण हुआ है। 

प्रमुख निबंधकार हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने एक लेख जो पुरानी कक्षा 10 की हिंदी की किताब में मैं मजदूर हूं पाठ में लिखा था कि हां मैं मजदूर हूं। कंधे डाल दू तो दुनिया लड़खड़ाकर कर गिर पड़े। मैंने ही पूंजी पतियों ,को आराम की हर वस्तु उपलब्ध कराई जिसके कारण आज सम्पूर्ण विश्व के लोग अपनी दैनिक आवश्यक्ताओ की पूर्ति रूपी समस्त छोटी से बड़ी आवश्यक्ताओ की पूर्ति की। हमने सुई से लेकर हवाई जहाज अपने मेहनत कस हाथों से बनाया। हमने बड़े बड़े पुल, रेल की पटरियां , इंजन , महल , इमारत , सात अजूबे , कृषि मजदूर करे, रेत गारा का काम मजदूर करे।अन्न तैयार हमारे लिए वह करे। कपड़े वह तैयार करे,दवाई वह बनाये, वाहन वह बनाये। 

अर्थात सम्पूर्ण विश्व की आधारशिला यदि मजदूरों के कंधे में टिकी हुई है यह कहना कोई अतिशयोक्ति नही होगी ।

किन्तु विडम्बना यह है कि जो जितना अधिक मेहनत करता है वह उतना लाभ मजदूरों के रूप में नही प्राप्त किया है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है की जबसे यह श्रष्टि बनी हुई है तब से आकर मजदूरों का केवल पूंजीपति लोगो ने शोषण ही किया है। 

इसे तीन श्रेणियों द्वारा उच्च , मध्य , निम्न के रूप में समझ सकते है। निम्न वर्ग एवम मध्यम वर्ग आज विदीर्ण की स्तिथि में है। प्रश्न यह उपस्थित होता है कि जिस मजदूर ने महल बनाया, जिस मजदूर ने बड़े बड़े वाहन हवाई जहाज बनाए या और भीउपयोगी वस्तु बनाई क्या वह उसका उपभोग कर पाता है नही।

आज मजदूर दिवस के पावन अवसर पर हम सभी खासकर पूंजीवादी लोगो को प्रण लेना होगा जो हम मजदूरों का शोषण कर रहे है वह हमें नही करना होगा। प्रश्न यह भी उपस्थित होता है ऐसे कितने  मध्यम परिवार के लोग है जो अभाव ग्रसित है। आखिर मध्यम वर्ग लोगो की आवश्यक्ताओ की सुध कौंन लेगा। वह अपनी प्रतिष्ठा के कारण कमरे में कैद है। ऐसे आपको कई मध्यम परिवार मिल जाएंगे कि दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज है ।

 सेलिंगमैन ने कहा था """श्रम के प्रयोग के बदले दी जाने वाली कीमत मजदूरी कहलाती है।""" रॉबर्ट्स ने कहा था,, ""कार्य के प्रयोग के बदले दी जाने वाली पुरुस्कार सुविधा एवम अर्थ के अनुसार जो प्राप्त हो वह मजदूरी कहलाती है।""" यह भी है कि मजदूरी दो रूपो में प्रकट होती है नगद मजदूरी एवम असल मजदूरी। ,,,मजदूर नही तो हम नही आप नही"पुल नही सड़क नही कारखानों में भाप नही,घर नही नगर नही विकास का कोई माप नही,कपड़े नही खाना नही रहने का निवास नही,कुएं नही नहर नही बुझती कभी प्यास नही ,मजदूर नही तो कुछ भी नही।

,,,आज दैनिक परिवेश में कार्य के अनुसार नगद मजदूरी तो प्राप्त हो जाती है किंतु असल मजदूरी से मजदूर कोषों दूर है। आज मजदूरों की मेहनत के बल पर ही यह संसार टिका हुआ है। हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने ठीक ही कहा है कि कंधे डाल दू तो दुनिया लड़खड़ाकर गिर जाए इस संसार मे गजब हो जाये।अंत मे सभी श्रमिक को जिसने इस राष्ट्र की धरोहर को निर्माण करने में अपनी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जो मेहनत रूपी योगदान देकर इस श्रष्टि का निर्माण किया है उन्हें सत सत नमन। चाणक्य ने भी कहा था कि जीवन का सबसे बड़ा निश्चय खुद की मेहनत है। जो श्रमिको ने किया। आज उन्ही की मेहनत सम्पूर्ण विश्व मे दिख रही है। ऐसे मेहनत कस श्रमिको को आज मजदूर दिवस पर सत सत नमन।

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