_(मामला अस्पताल में जूनियर को उपाधीक्षक बनाए जाने का)_
_ठाकुर रमेश शर्मा - नरकटियागंज_रामनगर पश्चिमी चंपारण बिहार_
_दिनांक:- 29-03-2024_
बिहार में कुछ भी संभव हो सकता है। यहां ऊपर से नीचे तक पूरा विभाग भ्रष्टाचार में सम्मिलित है।अब तो शायद मुख्य सचिव ले सकते हैं संज्ञान।
बगहा अनुमंडलीय अस्पताल में इस प्रकार का खेल वर्षों से जारी है,क्या काफी ऊपर तक का संरक्षण प्राप्त है इस डॉक्टर को जो बार-बार ऐसे भ्रष्टाचार के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होती है। हालांकि अगर मुख्य सचिव संज्ञान ले ले तो बहुत बड़ा परत खुल सकता है।
भ्रष्टाचार का मामला कुछ इस प्रकार है की इस मामले में अस्पताल के वरीय चिकित्सक डॉक्टर एसपी अग्रवाल ने स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव को पत्र लिखकर अपने से 26 साल जूनियर चिकित्सक के नीचे कार्य करने में असमर्थता जताई है।
अपर मुख्य सचिव को लिखे पत्र में अस्पताल के वरीय चिकित्सक का कहना है कि 2023 में वरीयता के अनुसार उनका रैंक 503 है,जबकि उनसे काफी नीचे 4001 रैंक के चिकित्सक को अस्पताल का प्रभारी उपाधीक्षक बना दिया गया है।
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उनका कहना है कि इस संबंध में उनके द्वारा सिविल सर्जन को भी बार-बार पत्र प्रेषित किया गया, लेकिन सिविल सर्जन के द्वारा इस मामले में मनमानी रवैया अपनाते हुए उनसे 26 साल जूनियर चिकित्सक को अस्पताल का प्रभारी उपाधीक्षक बना दिया गया है।
जबकि इससे पूर्व सरकार के उप सचिव शैलेश कुमार के द्वारा राज्य के सभी सीएस को निर्देशित किया गया था कि अस्पताल के वरीय चिकित्सक को ही अस्पताल का प्रभारी मनोनीत करना है,लेकिन सरकार के उप सचिव के आदेश को स्थानीय सीएस के द्वारा अनदेखी कर जूनियर चिकित्सक को अस्पताल का प्रभार सौंप दिया गया है। ऐसे में चिकित्सक ने अपने से 26 साल जूनियर चिकित्सक के नीचे कार्य करने में असमर्थता जताई है एवं सरकार के उप सचिव के निर्णय को शीघ्र लागू करने की मांग की है।