(मामला कही भ्रष्टाचार से तो नही जुड़ा है ?)
_विशेष संवाददाता-तिरहुत प्रमंडल,मुजफ्फरपुर (बिहार)_
_दिनांक:-08/10/2022_
आम जीवन में एक कहावत है कि "इंसान नेकी करते-करते नेक नहीं बनता,अगर वह नेक होगा तभी उससे नेकी होगी।
यह मिसाल है भ्रष्टाचार पर। पर्यावरण विशेषज्ञों की राय हैं- गोपालगंज एवं बेतिया के डी०एफ०ओ कार्यालय का। यहां भ्रष्टाचार करते करते कुछ विभागीय मातहत भ्रष्टाचारी नहीं हुए हैं। वे भ्रष्टाचारी है इसलिए गाहे-बेगाहे उनसे भ्रष्टाचार हो जाती है।
यहां कुछ ऐसे भी लोग यानी कर्मी है जो अपने आप को सरकारी नौकर कहते हैं,परंतु है नहीं। वे अपने आप को बड़ा हाकिम मानते हैं। उन्हें ऊपर वाले की लाठी की मार का थोड़ा भी डर नहीं है।सीबीआई के छापे हो या सीआईडी का जांच,हम नहीं सुधरेंगे की फार्मूले पर कार्य करते हैं।
आपको जानकारी के लिए ज्ञात हो कि वर्ष 2003 में वन एवं पर्यावरण विभाग की एक अनुश्रवण समिति की बैठक हुई थी।जिसमें यह प्रावधान किया गया था कि वरीयता के आधार पर जितनी भी आरा मशीनें अधिशेष की सूची में है,जिले से बाहर जा सकती हैं। परन्तु उसको पहले राज्यस्तरीय समिति के निर्णय ने आधार पर ही जिला से बाहर जा सकता है।ऐसा प्रावधान बिहार सरकार के वन पर्यावरण विभाग के संकल्प के आधार पर ही निर्णय लेने का प्रावधान किया जाएगा।ऐसा (संकल्प) में दर्शाया गया है। जिनका चयन महज गोपालगंज, सासामुषा के लिए किया गया है क्योंकि यह आरा मीले अधिशेष की सूची में है।
ज्ञात सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक अनुज्ञप्तिधारी बलिराम मिश्र अनुज्ञप्ति संख्या 24/95 प्रकाश टिंबर स्टोर्स-सासामुषा (गोपालगंज) बिहार है। जिससे डीएफओ पूर्व परिचित भी हैं। इस व्यक्ति का उम्र कितना है? क्या यह व्यक्ति इस उम्र में आरा मशीन को संचालित कर सकता है? फिर भी उस आरा मील को वहां से उखाड़ने का आदेश प्राप्त नहीं है।इनके उत्तराधिकारियों में से एक पुत्र तो विदेश में नौकरी करते है जो इस झंझट में पड़ ही नही सकते है। विभाग ने फिर भी किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा इस मशीन को अवैध रूप से पकड़ी देवराज में कायम कर के D.F.O ऑफिस गोपालगंज को सूचित किया गया है कि मेरा मशीन चल रहा है।कहीं- कहीं यह मशीनें पेटी कंट्रेक्ट पर संचालित किया जा रहा है।सबसे खास बात यह है कि इस मामले में DFO बेतिया ने रेंजर प्रमंडल 3 के एक जांच प्रतिवेदन उक्त आरा मशीन जो बहुअरी में संचालित है इसके आलोक में स्थल निरीक्षण करते हुए विधि संवत सख़्त करवाई करने का आदेश कागजो में दे दिया है,परंतु यह भी लक्ष्मीनारायण के बल पे कई दिनों से लंबित है।जो शीघ्र जांच का विषय है।
अब इस प्रकरण में बिहार के प्रधान मुख्य वन संरक्षक पटना,बिहार के द्वारा जांच कराने पर ही वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व एरिया में दूसरे क्षेत्रों से तथा दूसरे जिले से आये हुए अवैध चिरान मशीनों के पेटी कॉन्ट्रेक्टर ग्रुप का पर्दाफाश हो पाएगा।
उक्त सारी बाते राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे ने अपने बयान में बताकर इस संवाददाता को अवगत कराया।तभी इस क्षेत्र की जनता को राहत मिलेगी।