रमेश ठाकुर - रामनगर प०चम्पारण
दिनांक-14-08-2022
महागठबंधन की सरकार बनते लोगों को उम्मीद जगी,परंतु नया जाति-निवास-आय प्रमाण पत्र बनवाने का व्यवस्था यानी विधि बदल गया है।
कहने के लिए अब यह प्रमाण पत्र ऑनलाइन बनाने का आदेश हो गया है।परंतु उसमे ऑफलाइन राजस्व कर्मचारी का रिपोर्ट करवाना अनिवार्य हो गया है।
उधर बच्चो को फॉर्म खरीदने के बाद उसपर फोटो लगाकर राजस्व कर्मचारी को ढूंढते-ढूंढ़ते कई दिन लग जा रहा है। अगर कोई कर्मचारी मिल भी गए तो RTPS काउंटर से किसी भी आवेदन का निपटारा नहीं होता। आवेदक को प्राइवेट साइबर कैफे वाले का रास्ता बताया जा रहा है।उधर बिहार सरकार के मुख्यालय कर्मी पटना में अपने उस सर्वर को अपडेट नहीं रखते हैं,जिस कारण यहाँ ऑनलाइन करते समय आवेदक छात्रों को 2 से 3 दिन प्राइवेट कैफे में भी आना पड़ता है। इन सब बातों में ग्रामीण विकास विभाग के सर्वर मेंटेन नहीं होना तथा सर्वर डाउन होना मुख्य कारण है।
इन दिनों इंटर में छात्रों का नामांकन होना है।इस समय जाति प्रमाण पत्र करंट चाहिए होता है। इस विभाग में अब और झमेला होने से छात्रों को प्रमाण पत्र के लिए निराश होना पड़ रहा है। दूसरी तरफ अंचल कर्मी ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे उन्हें तनख्वाह मिलता ही नहीं है। इस विभाग के प्रधान सचिव महोदय को चाहिए कि आम जनता को इन छोटी सी चीजों के लिए इतना क्यों परेशान होना पड़ता है ? शीघ्र ही बच्चों को आसान तरीके से जाति- निवास-आय उपलब्ध हो,इसकी व्यवस्था कराना चाहिए,नहीं तो नामांकन का समय निकल जाएगा। सर्वर डाउन के चक्कर में ऑनलाइन में ऑफलाइन आवेदक के लिए चुनौती क्यों बना दिया गया है ?