10 साल से भटक रहा है मृत्य वृद्ध जिदा होने का सबूत लेकर
पश्चिम चम्पारण जिला के नरकटियागंज प्रखंड में एक जिंदा इंसान को कागजों में मृत घोषित कर दिया गया. यहां तक कि सरकार से मिलने वाली कफन की राशि तक उठा ली गई है. अब ये बुजुर्ग अपने जिंदा होने का सबूत देने के लिए एक जगह से दूसरी जगह चक्कर लगा रहा है, लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है.2010 में आशिक बैठा को बताया गया मृत
दरअसल 2010 में आशिक बैठा को मृत बताकर कबीर अंत्येष्टि अनुदान योजना की 1,500 रुपये की राशि उठा ली गई थी और उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था. जिसकी जानकारी आशिक बैठा को 2014 में मिली. जिसके बाद आशिक बैठा 2014 के तत्कालीन बेतिया डीएम से मुलाकात कर अपने जिंदा होने का सबूत दिया. तत्कालीन डीएम ने नरकटियागंज के बीडीओ को जांच का आदेश दिया, लेकिन वो जांच अब तक पूरी नहीं हुई.
10 साल से अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई
आशिक बैठा मजदूरी का काम करते हैं और उसी से उनका जीवन चलता है. बुजुर्ग आशिक बैठा आज भी अपने जिंदा होने का सबूत लिए भटक रहे हैं. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. बता दें कि 2007 में राज्य सरकार ने गरीबों के लिए कबीर अंत्येष्टि अनुदान योजना की शुरुआत की थी. जिसके तहत गरीबी रेखा के नीचे वाले परिवार को घर के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर 1,500 रुपये सहायता राशि के रूप में मिलती थी. जो 2014 में बढ़ाकर 3,000 रुपये कर दी गई थी
अत्येष्टिराशि लेने के लिए बताया गया मृत
बुजुर्ग आशिक बैठा ने बताया कि उन्हें सरकार से किसी भी योजना का लाभ नहीं मिलता है, क्योंकि सरकारी कागज पर उनकी मौत 10 साल पहले ही हो चुकी है. वहीं, आशिक बैठा के भाई यूनिस बैठा ने बताया कि 2010 में ही मेरे बड़े भाई आशिक बैठा को मृत बताकर कफन का पैसा भी ले लिया गया, लेकिन वो अभी भी जिंदा हैं !