प्रेस नोट :- 06 दिसंबर 2020
मुमताज़ अहमद ने देश वासियों को अपने संदेश में कहा कि आज ही के दिन हमने ज्ञान प्रतीक को खो दिया था, 6 दिसंबर को भारत ने महान हस्ती खो दिया था।
*जिनका नाम है डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर* जिनके पास 32 डिग्रियां और 9 भाषाओं का ज्ञान था, जिन्होंने एशिया में सबसे पहले (PHD )पी.एच.डी. की थी।
डॉक्टर अम्बेडकर ने भारत का संविधान लिखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उस समय दलितों को पढ़ने लिखने का भी अधिकार नहीं था,क्योंकि देश मनुस्मृति से चलता था, उसके बावजूद अंबेडकर जी ने स्कूल के अंदर कमरे के बाहर जूतों के उपर बैठकर पढ़ाई की, उच्च और निम्न शिक्षा के क्षेत्र में पूरे विश्व का रिकॉर्ड अपने नाम हासिल कर लिया।
आगे बताते चलें कि राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण एवं जन कल्याण संगठन के राष्ट्रीय सुरक्षा-प्रबंधन अधिकारी ने कहा कि उस समय दलितों और अछूतों को तालाब से पानी पीने का अधिकार नहीं था, खैर डॉक्टर अम्बेडकर के संघर्षों से पानी पीने का अधिकार मिला। फिर पढ़ना लिखना तो दूर की बात है डॉक्टर अम्बेडकर ने हर वर्ग की आवाज उठाई, खासकर दलितों पिछड़ों महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए संघर्ष किया,और अधिकार दिलाए।
*डॉक्टर अम्बेडकर की हत्या साज़िश उनकी दूसरी पत्नी सविता देवी जो की ब्राह्मण थी और आरएसएस के गुंडों द्वारा एक साज़िश के तहत की गई थी।*
डॉक्टर अम्बेडकर ने अपने भारतीय समाज को शिक्षित और संगठित करने पर जोर दिया।
डॉक्टर अम्बेडकर के योगदानों को हम कभी नहीं भुल सकते हैं।
आगे मुमताज़ अहमद ने बाबा साहब के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 5 दिसंबर 1956 की रात साढ़े 11 बजे नानकचंद रत्तू साईकिल लेकर बाबा साहब के बगले के द्वार तक ही पहुँचे होंगे कि पीछे-पीछे सुदामा बुलाने चले आये कि साहेब ने फ़िर बुलाया हैं!
रत्तू बापिस आये तो बाबा साहब ने *बुद्ध और धम्म* की टाइप की हुई प्रस्तावना अवलोकन के लिए माँगी, पुस्तक की प्रस्तावना देकर रत्तू प्रतिदिन की तरह अपने घर चले गए ,सुदामा भी सोने चले गए सब कुछ सामान्य चल रहा था कि सुबह 6 दिसंबर को देश को यह दुःख भरी खबर सुनने को मिली कि दबे कुचले, वंचित, शोषित, गरीब मजदूरों के मसीहा, ज्ञान के प्रतीक,महान समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री राजनीतिज्ञ, विश्व रत्न, बोधिसत्व बाबासाहब भीमराव अंबेडकर नही रहें!!
देखते ही देखते खबर देश भर में आग की तरह फैल गई जिसे सुनकर पूरा देश शोकाकुल हो गया।
आज मुमताज़ अहमद ने अपने नम आंखें किए हुए कहा कि *आप बेशक हमारे बीच नहीं है, लेकिन आपके ज्ञान और विचारों की धारा हमेशा हमारे दिलों में बहती रहेगी, हमें प्रेरणा देती रहेगी!*
*6 दिसंबर 1956 को दुनिया से अलविदा हो गए ।*
*बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी* के परिनिर्वाण दिवस पर कोटि-कोटि नमन व हार्दिक श्रद्धांजलि।
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*मुमताज़ अहमद*
*नेशनल प्रोटोकॉल ऑफिसर*
*राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण एवं जन*
*कल्याण संगठन*