रिपोर्टर सिरजेश यादव 8896076537
पुलिसकर्मियों द्वारा अपनी अय्याशी दिखाते हुए एक परिवार की महिलाओं के साथ छेड़खानी और उसके बाद वर्दी वाला गुंडा बनकर उनके साथ मारपीट करने के मामले में दो दिन तक चले पुलिसिया ड्रामे के बाद एक एसआई को लाइन हाजिर करने के साथ ही दो सिपाहियों को निलम्बित कर दिया गया। इस मामले में पुलिस ने उल्टा पीड़ित परिवार पर ही लूट सहित पुलिस से मारपीट का मुकदमा दायर कर दिया था जो कि न्यायालय में जाने के बाद एसीजेएम की अदालत ने पीड़ित परिवार की महिलाओं का 161 में बयान दर्ज करने के बाद पीड़ित परिवार के ऊपर पुलिस द्वारा दर्ज किये गए लूट के मुकदमे को खारिज कर दिया गया।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक पुलिस द्वारा छेड़छाड़ का शिकार हुई महिलाओं के मामले में पुलिस ने शनिवार को तीन अज्ञात पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज कर लिया। अब यहां मुकदमा दर्ज होने के बाद भी यह सवाल उठता है कि जब छेड़खानी और मारपीट के मामले में एक एसआई चौकी इंचार्ज नागेंद्र गोंड को लाइन हाजिर करने के साथ ही सिपाही कमलेश और सिपाही रमेश को निलम्बित कर दिया गया तो फिर मुकदमा अज्ञात पुलिसकर्मियों पर क्यों….?
आइये बताते हैं वर्दी वाले गुंडों की कहानी….
देवरिया का एक परिवार जो कि महाराष्ट्र रहता है और अपने गांव किसी मांगलिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने अपने गांव आया हुआ था वह महाराष्ट्र जाने से पूर्व मंगलवार को कुशीनगर घूमने आया और यहां शाम होने के बाद कसया ओवरब्रिज के पास स्थित होटल आदित्य में खाना खाने लगा इस परिवार के साथ 3 महिलाएं भी थीं। इसी दौरान कसया थानान्तर्गत हाइवे चौकी इंचार्ज नागेंद्र गोंड, सिपाही कमलेश और रमेश वहां दारू के नशे में धुत होकर पँहुचे और महिलाओं के साथ अभद्रता करने लगे, बात विरोध के बाद मारपीट तक पंहुच गयी और परिवार वालों के समर्थन में होटल स्टाफ और आसपास के लोगों के आने के बाद पुलिस बैकफुट पर आ गयी लेकिन थोड़ी देर बाद उन तीनों पुलिसकर्मियों ने थाने पर फोन करके और पुलिसवालों को बुला लिया और उसके बाद उस परिवार और उसके साथ उन महिलाओं के साथ भी मारपीट की तथा इतने से मन नहीं भरा तो उनको थाने लाकर उस परिवार के पुरुषों पर लूट और पुलिस के साथ मारपीट का मुकदमा दर्ज कर उन्हें चालान कर दिया।
अब जब मामला मीडिया में उछला तो आलाधिकारियों के संज्ञान में गया, मामले का संज्ञान मुख्यमंत्री ने लिया तथा इसके बाद कुशीनगर एसपी विनोद सिंह ने मामले की जांच एडिशनल एसपी एपी सिंह को सौंपी। एडिशनल एसपी द्वारा की गयी मामले की जांच में कसया थाने के हाइवे चौकी इंचार्ज नागेंद्र गोंड़, सिपाही कमलेश और रमेश दोषी पाए गए और चौकी प्रभारी हाइवे नागेंद्र गोंड़ को लाइन हाजिर करने के साथ ही सिपाही कमलेश और रमेश को सस्पेंड कर दिया गया।
कोर्ट ने कुशीनगर पुलिस को लगायी फटकार, जब युवक हथियारबंद नहीं तो कैसे किया लूट या डकैती का प्रयास
कुशीनगर जिले की कसया पुलिस द्वारा एक परिवार की महिलाओं के साथ छेड़खानी करने के बाद उल्टा पीड़ित परिवार के ऊपर ही फर्जी तरीके से लूट और पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट करने का मुकदमा दर्ज करने के मामले में एसीजेएम शोभित राय को अदालत ने कुशीनगर पुलिस को जमकर फटकार लगायी तथा यह कहा कि कसया पुलिस ने माननीय हाईकोर्ट और माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अतिरिक्त भारतीय दंड संहिता के नियमों का उल्लंघन मानते हुए कसया पुलिस द्वारा पीड़ित परिवार के ऊपर दर्ज किये गए एफआईआर पर कसया पुलिस को जमकर लताड़ा, एसीजेएम शोभित राय ने कहा कि पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में घटना 15 दिसम्बर मंगलवार की रात 9 बजे दिखाई गई है और गिरफ्तारी भी उसी रात में दर्शायी गयी है लेकिन मेडिकल रिपोर्ट 16 दिसम्बर की है। इसके बाद न्यायालय के समक्ष पेश हुए पुलिस की नजरों में आरोपी युवकों ने पुलिसिया हिरासत में पिटाई की भी बात कही है, तथा मेडिकल रिपोर्ट और युवकों के शरीर पर चोट के निशान को देखते हुए यह प्रतीत होता है कि कसया पुलिस ने माननीय हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों तथा आईपीसी के नियमों का उल्लंघन करते हुए कसया पुलिस ने हिरासत में लिए गए युवकों के ऊपर जमकर पुलिस बल का प्रयोग किया है। इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए न्यायालय ने इस गम्भीर मामले की जांच करके दोषी पुलिसकर्मियों के ऊपर कार्यवाही करने का पुलिस अधीक्षक कुशीनगर को निर्देश दिया है। न्यायालय ने पुलिस द्वारा युवकों के ऊपर दर्ज किए गए लूट के मामले में पुलिस को फटकारते हुए कहा है कि विवेचक द्वारा प्रस्तुत किये गए रिमांड के प्रपत्र में दर्ज धारा 198 का जिक्र करते हुए कहा है कि पुलिस की केस डायरी तथा एफआईआर में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया गया है कि उक्त युवक हथियारबन्द थे तथा उन्होंने पुलिस से लूट या डकैती का प्रयास किया है तो फिर आखिर किस आधार पर पुलिस ने युवकों के खिलाफ लूट का मामला दर्ज किया।
इस तरह पुलिस द्वारा युवकों के ऊपर दर्ज लूट के मामले में उचित सबूत पेश न कर पाने के कारण एसीजेएम शोभित राय ने युवकों के खिलाफ दर्ज लूट के मामले को खारिज कर दिया।
आखिर क्यों दर्ज हुआ अज्ञात पुलिसकर्मियों पर मुकदमा…?
अब शनिवार को खबर मिली कि कसया ओवरब्रिज के पास आदित्य होटल में महिलाओं के साथ हुई छेड़खानी के मामले में कसया थाने में तीन अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ 323, 354क, 427 और 504 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है, तो यहां इस मुकदमे में संदेह होना लाजमी है तथा कुशीनगर पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल भी उठते नजर आ रहे हैं कि जब मामले की जांच में एक एसआई सहित तीन पुलिसवाले दोषी पाए गए और उनके ऊपर विभागीय कार्यवाही भी हुई तो फिर मुकदमे में उन तीनों पुलिसकर्मियों का नाम क्यों नहीं…? आखिर कसया पुलिस उन तीनों दोषी पुलिसकर्मियों को क्यों बचा रही है..? आखिर मुकदमा अज्ञात पुलिसकर्मियों पर क्यों लिखा गया…? कौन हैं वो अज्ञात पुलिसकर्मी….? और जब इन तीनों पुलिसवालों नागेंद्र गोंड़, कमलेश और उमेश का उस मामले से कोई सम्बन्ध नहीं है तो फिर इनपर कार्यवाही क्यों हुई….? और अंतिम सवाल यह है कि अगर इन तीनों पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उस मामले में है तो फिर इनपर नामजद मुकदमा क्यों नहीं दर्ज किया गया….?