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केशव प्रसाद मौर्य डिप्टी सीएम के जुबानी आवाज सुने जब कुछ पत्रकार उन से पूछे सर पत्रकारों का न्याय कैसे होगा तो केशव प्रसाद मौर्य ने जवाब दिया पत्रकारिता छोड़ नेतागिरी करो

केशव मौर्य का डिप्टी सीएम के पद की हैसियत से ऐसा बयान देना गैर जिम्मेदाराना है ऐसे व्यक्ति को इतने ऊंचे पद पर नहीं रहना चाहिए इनको तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। या सीएम योगी से इनके इस्तीफे की मांग करनी चाहिए। जिसे उचित अनु चित , हित अहित का ज्ञान ना हो वह उपमुख्यमंत्री पद पर रहने लायक नहीं हो सकता। हर पत्रकार स्वाभिमानी तभी माना जा सकता है जब वह सरकार द्वारा आयोजित किसी भी प्रेस कान्फ्रेंस में शामिल ना हो। मीडिया किसी को आवाज से अधिक ऊंचाई पर उठाना जानती है तो उसकी टांग खींच कर धरातल पर लाना भी जानती है। चाहिए यह की उनको उनकी औकात का एहसास कराने के लिए अब केवल उनकी कमियां उजागर करके उनको रसातल में भेजना है। अब केवल उनके खिलाफ ही कवरेज की जाए। पत्रकार उनका गुलाम नहीं है वह स्वतंत्र है और सभी लोगों को मिलकर अपनी स्वतंत्रता को एहसास कराना होगा। बिना मीडिया के सरकार अपंग है। चाहे प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री या कोई फिल्मी सितारा हो या क्रिकेटर हो यदि कोई भी ऊंचाई पर पहुंचा है तो केवल मीडिया की बदौलत। मीडिया अगर किसी को हाईलाइट ना करे तो वे एक कुएं के मेंढक की बने रहेंगे। सब उन्हें मीडिया या पत्रकारिता का महत्व समझ में आएगा। अगर पत्रकार वास्तव में पत्रकार पत्रकारिता करने लगे तो उन सब को समझ में आ जाएगा कि पत्रकारिता क्या है।
यदि हमारी बात किसी को खराब लगी हो तो हमें माफ करेंगे। डिप्टी सीएम ने सभी पत्रकारों के जमीर को ललकारा है और ऐसा पत्रकारों को स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।

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