कानपुर 24 अगस्त मोहर्रम की 04 तारीख को खानकाहे हुसैनी में तीसरा ज़िक्र ए शोहदा ए कर्बला, नात-मनकबत व दुआ का प्रोग्राम हुआ।
ज़ोहर की नमाज़ के बाद खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की दरगाह पर ज़िक्र ए शोहदा ए कर्बला की शुरुआत तिलावते कुरानपाक से हाफिज़ मोहम्मद अरशद अशरफी ने की उसके बाद नात व मनकबत हुई जिसमें यज़ीद की कब्र का नामोनिशान मिट गया, चमक रहा आज भी रौज़ा मेरे हुसैन का, सर कटाकर जो वादा निभाएं वह घराना है मौला अली का, घर का घर दीन पर जो लुटाएं वह घराना है मौला अली । ज़िक्र ए शोहदा ए कर्बला में शफीपुर शरीफ के सूफी मोहम्मद इफ्राहिम शफ़वी ने खिताब करते हुए कहा हज़रत इमाम हुसैन ज़ुल्म, जिनाकारी, नशाखोरी के खिलाफ व हक़ के लिए रसूल ए खुदा के नवासे इमाम हुसैन ने नानाजान की उम्मत को बचाने के वादे को निभाने के लिए अपनी शहादत देकर वादा निभाया। आका मौला हुजूर सरकार हज़रत मोहम्मद मुस्तफा ने फरमाया हुसैन मुझसे है और मै हुसैन से हूँ इमाम हसन- हुसैन जन्नतो मे नौजवानो के सरदार होगे। हमारे नबी इमाम हुसैन से इतनी मोहब्बत करते थे कि नमाज़ पढ़ते वक्त हुसैन उनके कंधो पर चढ़ जाते थे और आक़ा हुज़ूर सरकार मुस्कुरा देते थे। हक हुसैन मौला हुसैन के नारे बुलंद हुए खानकाहे हुसैनी के साहिबे सज्जादा इखलाक अहमद डेविड चिश्ती ने दुआ की ऐ अल्लाह अपने हबीब के नवासों के सदके हमारे मुल्क से कोरोना वायरस का खात्मा कर , कोरोना वायरस मरीज़ों को सेहत दे, मुल्क में अमनों अमान कायम रहे, दहशतगर्द का खात्मा करने, बुराइयों से बचाने, नमाज़ की पाबंदी करने, कुदरत के कहर से बचाने की दुआ की।
ज़िक्र शोहदा ए कर्बला में इखलाक अहमद डेविड चिश्ती, सूफी मोहम्मद इफ्राहिम शफ़वी, शफाअत हुसैन, मोहम्मद रिज़वान बकाई, मोहम्मद अनवार नियाज़ी, सूफी मोहम्मद हारुन चिश्ती, शारिक वारसी, अनवार मदारी, मोईनुद्दीन चिश्ती, मोहम्मद हफीज़, अबरार वारसी, एजाज़ रशीद, मोहम्मद शाहिद, शमशुद्दीन फारुकी, एजाज़ हुसैन, शाह आलम आदि लोग मौजूद थे।
ज़ोहर की नमाज़ के बाद खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार शाह (रह०अलै०) की दरगाह पर ज़िक्र ए शोहदा ए कर्बला की शुरुआत तिलावते कुरानपाक से हाफिज़ मोहम्मद अरशद अशरफी ने की उसके बाद नात व मनकबत हुई जिसमें यज़ीद की कब्र का नामोनिशान मिट गया, चमक रहा आज भी रौज़ा मेरे हुसैन का, सर कटाकर जो वादा निभाएं वह घराना है मौला अली का, घर का घर दीन पर जो लुटाएं वह घराना है मौला अली । ज़िक्र ए शोहदा ए कर्बला में शफीपुर शरीफ के सूफी मोहम्मद इफ्राहिम शफ़वी ने खिताब करते हुए कहा हज़रत इमाम हुसैन ज़ुल्म, जिनाकारी, नशाखोरी के खिलाफ व हक़ के लिए रसूल ए खुदा के नवासे इमाम हुसैन ने नानाजान की उम्मत को बचाने के वादे को निभाने के लिए अपनी शहादत देकर वादा निभाया। आका मौला हुजूर सरकार हज़रत मोहम्मद मुस्तफा ने फरमाया हुसैन मुझसे है और मै हुसैन से हूँ इमाम हसन- हुसैन जन्नतो मे नौजवानो के सरदार होगे। हमारे नबी इमाम हुसैन से इतनी मोहब्बत करते थे कि नमाज़ पढ़ते वक्त हुसैन उनके कंधो पर चढ़ जाते थे और आक़ा हुज़ूर सरकार मुस्कुरा देते थे। हक हुसैन मौला हुसैन के नारे बुलंद हुए खानकाहे हुसैनी के साहिबे सज्जादा इखलाक अहमद डेविड चिश्ती ने दुआ की ऐ अल्लाह अपने हबीब के नवासों के सदके हमारे मुल्क से कोरोना वायरस का खात्मा कर , कोरोना वायरस मरीज़ों को सेहत दे, मुल्क में अमनों अमान कायम रहे, दहशतगर्द का खात्मा करने, बुराइयों से बचाने, नमाज़ की पाबंदी करने, कुदरत के कहर से बचाने की दुआ की।
ज़िक्र शोहदा ए कर्बला में इखलाक अहमद डेविड चिश्ती, सूफी मोहम्मद इफ्राहिम शफ़वी, शफाअत हुसैन, मोहम्मद रिज़वान बकाई, मोहम्मद अनवार नियाज़ी, सूफी मोहम्मद हारुन चिश्ती, शारिक वारसी, अनवार मदारी, मोईनुद्दीन चिश्ती, मोहम्मद हफीज़, अबरार वारसी, एजाज़ रशीद, मोहम्मद शाहिद, शमशुद्दीन फारुकी, एजाज़ हुसैन, शाह आलम आदि लोग मौजूद थे।