आज दिनांक 30 अगस्त 2020 को शांति से मुहर्रम पर्व सही तरीके से मनाने के लिए एक महत्त्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुए राज्य संगठन सचिव मुमताज़ अहमद ने कहा कि संगठन के पदाधिकारियों को हिदायत और दिशा निर्देश दिए गए हैं कि शांति और सौहार्द से मुहर्रम पर जुलूस, तज़िया , ढोल आदि सब मना है, यानी हराम है ।
आगे बताते चलें कि मुमताज़ अहमद ने बताया कि ऐसा करने से लोग दुवा और आशीर्वाद देंगें, मानवता की पहचान बनेगी और सामाजिक परिवेश में अच्छा संदेश हिन्दु-मुस्लिम या ये कहें कि सर्व धर्म के लिए होगा, तभी हम एक धर्म निरपेक्ष और स्वस्थ भारत का निर्माण कर सकते हैं।
ढोल बजाना और तज़िया तो ख़ुशी की दलील है लेकिन जो लोग इस्लाम को पढ़े हैं वो नहीं करते हैं ।अगर आप के किसी काम से किसी को ग़ैर ज़रूरी तकलीफ़ होती है तो वैसा काम करना मुस्लिम धर्म या किसी भी धर्म या कानून में ऐसा करना मना है, जैसे ढोल की आवाज़ से बूढ़ों, बच्चों, बीमार को तकलीफ़ होती है, तज़िया से रास्ता ब्लाक होता है और बहुत सारे मरीज़ फँस जाते हैं जिससे उनकी मौत हो सकती है या हो जाती है, इसीलिए इस्लाम धर्म नहीं ऐसा करना सर्व धर्म में मना है यानी हराम है।
लेकिन बदक़िस्मती से कुछ लोग अच्छा उदाहरण पेश नहीं कर रहे हैं।
प्रदेश मिडिया प्रभारी अजय कुमार यादव एवं प्रदेश सचिव श्री दीपक कुमार श्रीवास्तव और संगठन के कई पदाधिकारियों ने इनके इस संदेश को जन कल्याण हेतु सराहनीय कदम बताते हुए इस पर अमल करने और कराने हेतु संकल्पित हुए।
इस बाबत संगठन सचिव ने कहा कि सबसे अच्छा तरीक़ा है कि भूखों को खाना खिलाना, पानी पिलाना, नंगों को कपड़ा देना , फलदार पेड़-पौधें लगाएं ताकि लोगों को आने वाले भविष्य में इससे फल और छांव मिल सके।
अगर आज के युग में हम फलदार पेड़-पौंधा नहीं लगाएंगे तो भविष्य में हमारे बच्चे फल कहां से खाएंगे।आगे बताते चलें कि मुमताज़ अहमद ने बताया कि ऐसा करने से लोग दुवा और आशीर्वाद देंगें, मानवता की पहचान बनेगी और सामाजिक परिवेश में अच्छा संदेश हिन्दु-मुस्लिम या ये कहें कि सर्व धर्म के लिए होगा, तभी हम एक धर्म निरपेक्ष और स्वस्थ भारत का निर्माण कर सकते हैं।
ढोल बजाना और तज़िया तो ख़ुशी की दलील है लेकिन जो लोग इस्लाम को पढ़े हैं वो नहीं करते हैं ।अगर आप के किसी काम से किसी को ग़ैर ज़रूरी तकलीफ़ होती है तो वैसा काम करना मुस्लिम धर्म या किसी भी धर्म या कानून में ऐसा करना मना है, जैसे ढोल की आवाज़ से बूढ़ों, बच्चों, बीमार को तकलीफ़ होती है, तज़िया से रास्ता ब्लाक होता है और बहुत सारे मरीज़ फँस जाते हैं जिससे उनकी मौत हो सकती है या हो जाती है, इसीलिए इस्लाम धर्म नहीं ऐसा करना सर्व धर्म में मना है यानी हराम है।
लेकिन बदक़िस्मती से कुछ लोग अच्छा उदाहरण पेश नहीं कर रहे हैं।
प्रदेश मिडिया प्रभारी अजय कुमार यादव एवं प्रदेश सचिव श्री दीपक कुमार श्रीवास्तव और संगठन के कई पदाधिकारियों ने इनके इस संदेश को जन कल्याण हेतु सराहनीय कदम बताते हुए इस पर अमल करने और कराने हेतु संकल्पित हुए।