आज दिनांक 02 दिसंबर 2020 बिहार राज्य अंतर्गत पश्चिम चम्पारण जिले के योगापट्टी प्रखंड सह थाना क्षेत्र बगहीं पुरैना पंचायत के पुर्व मुखिया श्री ध्रुव मुखिया के अध्यक्षता में एक बैठक समीक्षा की गई इस दौरान राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण एवं जन कल्याण संगठन के राष्ट्रीय सुरक्षा-प्रबंधन अधिकारी इस समय पुरे देश में चल रहे किसानों के समस्याओं और उनके द्वारा किए जा रहे संवैधानिक आंदोलन की समीक्षा करने के उपरांत मुमताज़ अहमद ने कहा कि आज के दौर में लगभग 12 रु० से 15 रु० का 1 गन्ना होता है, जिस गन्ने को कोई भी खेत से तोड़ लेता है।
जबकि चीनी मीलों में ट्राली या ट्रेक्टर से ले जाने के क्रम में कई ऐसे लोग हैं जो 2-4 निकाल लेते हैं, और किसान देख भी लेता है...!!! तो भी वह किसान यही कहता है कि एक-दो और ले लो भाई.... कोई घाटा थोड़ी है..!!
मगर वहीं किसी दुकानदार की 1 रुपए की माचिस उठा कर दिखा दो, तो जाने साहब ..!!
*साहब अन्नदाता बनना इतना आसान नहीं है???*
मुमताज़ अहमद ने इस सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि पुरे दुनिया में जमीं के सीने से फ़सल पैदा करने वाले अन्नदाताओं को आज के दौर में जब सड़कों पर अपने पसीने की मुल्य के लिए आंदोलन करना ये साबित कर दिया कि भारतीय लोकतंत्र की वजूद में कोढ़ लग चुकी है या ये कहना मुनासिब समझा जाए कि जो सरकारी या गैर सरकारी महकमों के अधिकारियों ने जो किसानों पर वाटर कैनन चलाने, पुलिस बल प्रयोग करने और आंसू गैस छोड़ने के आदेश जारी किए गए, इससे ये तो साफ़ साफ़ ज़ाहिर होता है कि हमारे देश में संवैधानिक अधिकार और उचित मूल्य, मेहनाताना, रोजगार, अच्छी गुणवत्ता युक्त शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधित अपने विचारों को व्यक्त करना जैसे कि बहुत बड़ी अपराध हो।
आगे मुमताज़ अहमद ने कहा कि जबतक जवानों और किसानों के शरीर से पसीने निकलते रहेंगे, तब तक ही देश की वजूद पूर्ण रुप से दुनिया भर में जिन्दा रहेंगी...!
जब जवानों और किसानों को अपने हक़ और पसीनों की उचित मजदूरी के लिए सड़कों पर उतरना पड़े....! तो ये समझा जा सकता है कि मानवता और मानव संसाधन ये दोनों ख़तरे में हैं।
आज हमें अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा है कि हमारे देश के अन्नदाता किसानों के भावनाओं और संवेदनाओं के साथ-साथ भारतीय लोकतंत्र की हत्या और बलात्कार करने जैसे अपराध से कम नहीं...!!!
इस बाबत मुमताज़ अहमद ने अपने अंदाज में कहा कि:-
*जख्म तो कई लगते हैं,*
*फ़सल काटने के वक्त..!*
*मगर दर्द महसूस तब हुआ..,*
*जब मारने वाला ही निकला फ़सल खाने वाला..!!*
किसान तेरी जय हो*
*अन्नदाता तेरी जय हो*
*जय हिन्द, जय भारत!!*
सबसे निंदनीय कृत्य:-
आगे आप को बताते चलें कि पिछले कई दिनों से देश का अन्नदाता सड़कों पर लाठी, डंडे व पानी की बौछारों को झेलते हुए कड़कड़ाती ठंड में खुले मैदानों में रात बिता रहे हैं और देश के पीएम बनारस में देव दीपावली का आनंद उठा रहे हैं, गृह मंत्री चुनाव संबोधित कर रहे हैं, मीडिया माहौल बना रहा है तथा आईटी सेल के गुुर्गे दुष्प्रचार कर रहे हैं।
किसानों के द्वारा उपज किए गए फ़सल को खाकर इन आदमखोर नेताओं ने उन्हें ही सताना और रुलाना सुरु कर दिया है जिनके फ़सल को खाकर दिमाग और सेहत बनाया है और इन किसानों के द्वारा दिए गए टैक्स के पैसों को विदेश घूमने और भगौड़ों को हजारों करोड़ रुपए दे दिए जाते हैं और देश से भगा दिया है ।
मौके पर मौजूद मालिक दुबे, अफरोज आलम, जद्दु यादव, गंगा यादव, दीपक मुखिया, राजा हुसैन अंसारी, मोहन मुखिया, रामटहल महतो, सुरज कुमार इत्यादि उपस्थित रहे।
*भारत का जिम्मेदार नागरिक*
*मुमताज़ अहमद*
जबकि अन्नदाता किसानों को उचित मुल्य नहीं दिया जा रहा है, मिल रही है किसानों को सिर्फ़ क्रुरताएं और लाठियां।
मो. अजरुद्दीन अंसारी
प्रदेश सचिव मीडिया सेल बिहार
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संपादक
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