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त्यौहारों का रंग, सुरक्षा के संग: दीपावली में पटाखों के धुएँ से वायु प्रदूषण को न दें बढ़ावा

 


•प्रदूषण रहित त्यौहार से लाएँ खुशियों के संग सेहत का उपहार 

• धुआँ और तेज़ आवाज नवजातों और बुजुर्गों के लिए है हानिकारक

• केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जारी किया पोस्टर 


छपरा । वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल के दौरान मनाए जाने वाले त्यौहारों में काफी सतर्क रहने की जरूरत है। कुछ दिनों में दीपावली का त्यौहार है जिसके दौरान जलने वाले  पटाखों की शोर और दमघोंटू धुएँ से स्वास्थ्य को नुकसान भी हो सकता है। यह समय सभी आयु वर्ग के लिए सतर्कता बरतने का समय है। लेकिन नवजातों और बुजुर्गों और गर्भवतियों की  सेहत के लिए तो अधिक ख्याल रखने की जरूरत है। इसलिए त्यौहार मनाते समय उनकी असुविधाओं को नजरंदाज नहीं करें और ध्यान रखें कि वे घर में सुरक्षित रहें। कोरोना से संक्रमित व्यक्तियों को अधिकतर सांस लेने में समस्या होती है। ऐसे में पटाखों के धुएं से उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।  इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी सोशल मीडिया पर पोस्टर के माध्यम से जागरूक किया है।

 

रोशनी के जरिये त्यौहार में बांटें खुशियाँ, प्रदूषण नहीं: 

सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा ने सारणवासियों से अपील करते हुए कहा कि पटाखों की तेज आवाज और धुआँ वैसे तो सभी आयु वर्ग के लिए नुकसान दायक होता है। लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के  बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होती है। ज़्यादातर इस उम्र में बुजुर्ग अस्थमा, हृदय संबन्धित रोग या अन्य मानसिक और शारीरिक रोगों से जूझ रहे होते हैं। इसलिए पटाखों के घातक तत्वों (सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, कॉपर,लेड, मैग्नेशियम, सोडियम,जिक, नाइट्रेट एवं नाइट्राइट) से  फैले जहरीले धुएँ इन के लिए हानिकारक हो सकते हैं। पटाखों की तेज आवाज से मानसिक तनाव, हृदयाघात, कान के पर्दे फटने का या तेज रौशनी से आँखों को नुकसान होने का डर रहता है। यही नहीं पटाखों से निकलने वाले घातक तत्वों से त्वचा को भी नुकसान पहुंचता है। बुजुर्गों को इस दौरान घर के बाहर नहीं निकलने दें। दमा के मरीजों को हमेशा इन्हेलर साथ रखने और जरूरत पड़ने पर तुरंत इस्तेमाल की हिदायत दें। यदि उनमें किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक असुविधा या बदलाव दिखे तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। साथ ही पटाखों के धुएँ से वायु प्रदूषण व कोरोना संक्रमण को बढ़ावा भी मिल सकता है। इसलिए इस बार कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुये रोशनी  के जरिये त्यौहार में खुशिया बांटें प्रदूषण नहीं। 

 

शिशुओं और गर्भवतियों  को भी सतर्कता की जरूरत :

पटाखों से सिर्फ बुजुर्गों को हीं नहीं छोटे बच्चों और गर्भवतियों को भी नुकसान पहुंचता है। इनके तेज आवाज से जहां शिशुओं के कान के पर्दे फटने, त्वचा और आँखों को नुकसान का डर होता है वहीं गर्भवती महिलाओं के गर्भस्थ बच्चे को भी नुकसान होता है। इससे शिशु के जन्म के बाद भी उसमें कई विकृतियाँ हो सकती हैं। इसलिए शिशुओं और गर्भवती माताओं को भी बाहर नहीं निकलने दें। 

  

त्यौहारों में भी कोरोना अनुरूप व्यवहारों का पालन जरूरी : 

वर्तमान परिस्थिति को देखते हुये समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति की ये नैतिक ज़िम्मेदारी बनती है कि वह अपना ख्याल रखते हुये परिवार और समुदाय के इन विशेष वर्गों का ध्यान रखें। इसके लिए मास्क के इस्तेमाल का कोई विकल्प नहीं है। संभव हो तो उन्हें घर में भी मास्क का प्रयोग करने को कहें ताकि पटाखों के नुकसान से बच सकें। प्रशासन द्वारा जारी निर्देशिका में भी  त्यौहारों के दौरान कोविड प्रोटोकॉल के सख्ती से पालन करने और शारीरिक दूरी रखने के निर्देश दिये गए हैं जिनका ईमानदारी से पालन कर सुरक्षित रह कर त्यौहार मनाएँ ।


कोरोना काल में  इन उचित व्यवहारों का करें पालन 

- एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।

- सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।

- अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।

- आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।

- छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।

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