उप संपादक : मंजय लाल सत्यम
बिहार के डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पाण्डेय की राजनीतिक महत्वाकांक्षा कुछ वर्ष पूर्व से प्रबल होती आई है। हालाकि वे समुचित सुअवसर की खोज में सदैव तत्पर रहते आए हैं। विगत दिनों बिहार के एक पत्रकार ने उनके इस्तीफा की खबर उड़ा दी। जिसे उन्होंने एक सिरे से नकार दिया था। अलबत्ता एकबारगी मंगलवार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेंकर जनतांत्रिक गठबंधन के प्रत्याशी बनने की चाहत व्यक्त किया है। इसके साथ राजनीति की उनकी इच्छा पूरी हुई, अब सदन में पहुँचने की उनकी महत्वाकांक्षा को पूरा करने में बिहार के क्षत्रप नीतीश व सुशील कितना सक्षम होंगे यह वक़्त बताएगा। अलबत्ता गुप्तेश्वर पाण्डेय के वीआरएस लेकर राजनीति में कूदना यह साबित करने को पर्याप्त है कि कार्यपालिका व न्यायपालिका का रिमोट कंट्रोल विधायिका के हाथों है, इसे झुठलाया नहीं जा सकता।
बिहार के डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पाण्डेय की राजनीतिक महत्वाकांक्षा कुछ वर्ष पूर्व से प्रबल होती आई है। हालाकि वे समुचित सुअवसर की खोज में सदैव तत्पर रहते आए हैं। विगत दिनों बिहार के एक पत्रकार ने उनके इस्तीफा की खबर उड़ा दी। जिसे उन्होंने एक सिरे से नकार दिया था। अलबत्ता एकबारगी मंगलवार को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेंकर जनतांत्रिक गठबंधन के प्रत्याशी बनने की चाहत व्यक्त किया है। इसके साथ राजनीति की उनकी इच्छा पूरी हुई, अब सदन में पहुँचने की उनकी महत्वाकांक्षा को पूरा करने में बिहार के क्षत्रप नीतीश व सुशील कितना सक्षम होंगे यह वक़्त बताएगा। अलबत्ता गुप्तेश्वर पाण्डेय के वीआरएस लेकर राजनीति में कूदना यह साबित करने को पर्याप्त है कि कार्यपालिका व न्यायपालिका का रिमोट कंट्रोल विधायिका के हाथों है, इसे झुठलाया नहीं जा सकता।